
हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर समझदार और मैच्योर बने। लेकिन यह अपने आप नहीं होता, इसके लिए बच्चों की सही परवरिश बहुत जरूरी है। सिर्फ उम्र बढ़ने से बच्चा मैच्योर नहीं होता, उसे सही आदतें और सोच भी सिखानी पड़ती हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि बच्चों को समझदार कैसे बनाएं, बच्चों की मैच्योरिटी कैसे बढ़ाएं (bacho ko samjadaar or mature kese banaye) और कौन-सी बातें हैं जो उन्हें छोटी उम्र में ही सिखाई जानी चाहिए ताकि वे आगे चलकर जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बन सकें।
बच्चों को मैच्योर और समझदार कैसे बनाएं?
1. परेशानी में पैनिक नहीं होना सिखाएं
बच्चों को यह सिखाना बेहद जरूरी है कि जब कोई दिक्कत आए तो डरना या घबराना नहीं है।
उदाहरण के लिए – अगर अचानक लाइट चली जाए, तो बच्चा रोने या घबराने की बजाय टॉर्च ढूंढ़कर उसे जलाए।
इससे बच्चों में समस्याओं से निपटने की आदत, सोचने की क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
2. अपना नाम और जानकारी देना सिखाएं
अक्सर बच्चे जब किसी मेहमान से मिलते हैं और उनसे नाम पूछा जाता है, तो वह शर्माते हैं या चुप हो जाते हैं।
यह आदत धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास को कमजोर कर सकती है।
उन्हें सिखाएं कि जब कोई नाम पूछे तो वह पूरे सम्मान और आत्मविश्वास से अपना नाम और अपने मम्मी-पापा का नाम बताएं।
इससे कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होती है और बच्चा दूसरों से जुड़ना सीखता है।
3. हर काम से पहले परमिशन लेना सिखाएं
बच्चों को यह आदत जरूर डालें कि वे कोई भी काम करने से पहले माता-पिता से पूछें।
चाहे वो बाहर खेलने जाना हो, दोस्त की बर्थडे पार्टी में जाना हो या कोई नई चीज ट्राय करना हो।
इससे बच्चों में अनुशासन आता है और वे बिना छिपाए, ईमानदारी से काम करना सीखते हैं।
यह आदत उन्हें जीवन भर मदद करती है क्योंकि वे सलाह लेना और बड़ों की राय को मानना सीख जाते हैं।
4. साफ-साफ और सम्मान के साथ बात करना
बच्चों को यह सिखाएं कि वे हर किसी से, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, अच्छे और सम्मानजनक तरीके से बात करें।
“थैंक यू”, “सॉरी”, “प्लीज़” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की आदत डालें।
यह छोटी बात दिखती है, लेकिन यही आदतें बच्चे को संस्कारी और पसंदीदा बनाती हैं।
5. अपना काम खुद करना
बच्चे अगर छोटी उम्र से ही अपना टिफिन पैक करना, बैग रखना, कपड़े चुनना जैसी छोटी-छोटी चीजें खुद करने लगें, तो उनमें आत्मनिर्भरता आती है।
इससे वे खुद पर भरोसा करना सीखते हैं और काम के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहते।
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निष्कर्ष
बच्चों को मैच्योर और समझदार बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस उन्हें बचपन से ही सही आदतें और सोच सिखानी होती है। जब बच्चे पैनिक नहीं होते, साफ बोलते हैं, काम के लिए परमिशन लेते हैं और खुद पर भरोसा करना सीखते हैं – तब असली परवरिश होती है। ये आदतें ही उनके अंदर वो मैच्योरिटी लाती हैं जो उन्हें जिंदगी की हर चुनौती के लिए तैयार करती है।