Parenting Tips: हर बच्चे में 12 साल से पहले विकसित हो जाने चाहिए ये गुण

हर बच्चे में 12 साल से पहले आत्मनिर्भरता, समय प्रबंधन, मनी मैनेजमेंट, अनुशासन, सहानुभूति, और संवाद कौशल जैसे गुण विकसित होना जरूरी है। ये गुण बच्चों को जिम्मेदार और सफल इंसान बनने में मदद करते हैं, जिससे उनका जीवन सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ता है।

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By Nutan Bhatt

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parenting tips for kids
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Parenting एक जिम्मेदारी भरा और संवेदनशील काम है। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा सफल, आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बने। इस सफर में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है 12 साल की उम्र तक के विकास का। 12 साल की उम्र से पहले बच्चों में कुछ ऐसे गुण विकसित करना जरूरी होते हैं, जो उनके पूरे जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकें।

आज हम इस लेख में उन Parenting Tips पर चर्चा करेंगे जो हर माता-पिता को अपनाने चाहिए, ताकि उनका बच्चा मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बने। हर बच्चे में 12 साल से पहले विकसित हो जाने चाहिए ये गुण जैसे आत्मनिर्भरता, अनुशासन, समय का प्रबंधन, और सामाजिक संवेदनशीलता। आइए विस्तार से जानते हैं इन गुणों के बारे में।

गुण जानकारी प्रैक्टिकल टिप्स
आत्मनिर्भरताखुद का ख्याल रखने की आदतरोज़मर्रा की जिम्मेदारियाँ दें
समय प्रबंधनसमय का सही इस्तेमालटाइम टेबल बनाएं
मनी मैनेजमेंटपैसों का सही उपयोग और बचतपॉकेट मनी दें, निवेश सिखाएं
अनुशासननियमों का पालन और सम्मानघर के नियम सिखाएं
सहानुभूतिदूसरों के प्रति संवेदनशीलताछोटे समाजिक कार्यों में शामिल करें
संवाद कौशलअपनी बात स्पष्ट और सही तरीके से रखनापॉजिटिव कम्युनिकेशन सिखाएं

1. आत्मनिर्भरता (Self-Reliance)

यह एक ऐसा गुण है जिसे बच्चों को कम उम्र में ही सीखना चाहिए। आत्मनिर्भरता का मतलब यह है कि बच्चे खुद का ख्याल रख सकें, जैसे कि अपनी चीजें समेटना, खाने-पीने का ध्यान रखना, और अपनी ज़रूरतों को पहचानना। यह गुण उन्हें जीवन में जिम्मेदार बनाता है।

  • कैसे सिखाएं: छोटे-छोटे काम, जैसे कि अपने कपड़े खुद रखना, किताबें समेटना आदि, बच्चों को सिखाएं। यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का पहला कदम होता है।

2. समय का प्रबंधन (Time Management)

बच्चों को समय का प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। इससे वे अनुशासित होते हैं और अपने दिन का सही तरीके से उपयोग कर पाते हैं। समय के महत्व को समझने वाले बच्चे अपने भविष्य में सफल होते हैं।

  • कैसे सिखाएं: बच्चों को एक डेली टाइम टेबल बनवाएं जिसमें पढ़ाई, खेल और अन्य गतिविधियों का समय निर्धारित हो। इससे उन्हें समय की कद्र करने की आदत पड़ेगी​।

3. मनी मैनेजमेंट (Money Management)

पैसों का प्रबंधन सिखाना भी बेहद जरूरी है। बच्चे जब पैसे खर्च और बचत के महत्व को समझेंगे, तो भविष्य में आर्थिक रूप से मजबूत बन पाएंगे।

  • कैसे सिखाएं: बच्चों को पॉकेट मनी दें और सिखाएं कि इसे कैसे बचाना और निवेश करना है। आप उन्हें छोटी-छोटी बचत योजनाओं के बारे में भी बता सकते हैं, ताकि वे जल्दी से इस गुण को अपनाएं​।

4. अनुशासन (Discipline)

अनुशासन जीवन में हर क्षेत्र में जरूरी होता है। बच्चों में छोटी उम्र से ही अनुशासन का गुण विकसित करना उनके व्यक्तित्व को निखारने में मदद करता है।

  • कैसे सिखाएं: घर के नियम बनाएं और बच्चों को नियमों का पालन करना सिखाएं। उन्हें अनुशासन का महत्व समझाने के लिए आप एक उदाहरण बन सकते हैं।

5. सहानुभूति (Empathy)

सहानुभूति वह गुण है जो बच्चों को दूसरों की भावनाओं को समझने और उनका सम्मान करने की शिक्षा देता है। यह उन्हें एक संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनाता है।

  • कैसे सिखाएं: बच्चों को सामाजिक कार्यों में शामिल करें, जैसे कि गरीबों की मदद करना, और उन्हें समझाएं कि दूसरों की मदद करना कितना जरूरी है।

6. संवाद कौशल (Communication Skills)

संवाद कौशल बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे वे अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।

  • कैसे सिखाएं: उन्हें अपनी भावनाओं को खुले तौर पर साझा करने का मौका दें। पॉजिटिव और सही संवाद के महत्व को सिखाएं।

जाने क्या कहते है डॉक्टर्स

बच्चों के विकास और परवरिश पर विशेषज्ञों की राय हमेशा महत्वपूर्ण होती है। बच्चों के मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक विकास को सही दिशा देने के लिए माता-पिता को इन गुणों पर ध्यान देना जरूरी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि 12 साल की उम्र तक बच्चों में कुछ प्रमुख गुण विकसित हो जाने चाहिए, जो उनके भविष्य को सुदृढ़ बनाते हैं। आइए जानते हैं इस विषय पर विशेषज्ञों की राय।

1. डॉ. हरीश शेट्टी (बाल मनोवैज्ञानिक)

डॉ. हरीश शेट्टी, जो एक प्रमुख बाल मनोवैज्ञानिक हैं, मानते हैं कि बच्चों में आत्मनिर्भरता सबसे पहला गुण होना चाहिए। वह कहते हैं, “बच्चों को कम उम्र से ही खुद का ख्याल रखना सिखाना चाहिए। इससे वे जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को छोटे-छोटे काम सौंपें, ताकि बच्चे में आत्मनिर्भरता का विकास हो।”

डॉ. शेट्टी यह भी कहते हैं कि बच्चों में अगर सहानुभूति की भावना विकसित हो जाए, तो वे समाज के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनते हैं। “सहानुभूति बच्चों को दूसरों की भावनाओं को समझने और उनके प्रति संवेदनशील बनने में मदद करती है। यह गुण उन्हें एक अच्छे इंसान के रूप में ढालता है।”

2. डॉ. अनुराधा सहगल (शैक्षिक विशेषज्ञ)

डॉ. अनुराधा सहगल, जो बच्चों की शिक्षा और विकास पर काम करती हैं, बताती हैं कि बच्चों को समय प्रबंधन की आदत डलवाना अत्यंत आवश्यक है। वह कहती हैं, “बच्चे जब कम उम्र से ही समय का प्रबंधन करना सीखते हैं, तो वे अपने जीवन में अनुशासन को महत्व देना शुरू करते हैं। टाइम टेबल और शेड्यूल बनाकर आप बच्चों को यह सिखा सकते हैं।”

3. डॉ. सीमा अग्रवाल (काउंसलर और बाल विकास विशेषज्ञ)

डॉ. सीमा अग्रवाल बच्चों के मनी मैनेजमेंट को एक महत्वपूर्ण गुण मानती हैं। “बच्चों को कम उम्र से ही पैसे के महत्व को समझाना चाहिए। पॉकेट मनी और बचत की आदत डालने से वे भविष्य में फालतू खर्चों से बच सकते हैं और आर्थिक रूप से जिम्मेदार बन सकते हैं,” वे कहती हैं।

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FAQs

Q1. बच्चों को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं?
A1. बच्चों को छोटे-छोटे काम करने दें, जैसे कि अपने कपड़े खुद समेटना, होमवर्क खुद करना, जिससे वे आत्मनिर्भर बनें।

Q2. समय प्रबंधन का महत्व क्या है?
A2. समय प्रबंधन से बच्चे अनुशासित होते हैं और अपने समय का सही इस्तेमाल करना सीखते हैं, जिससे उनका भविष्य उज्जवल होता है।

Q3. सहानुभूति क्यों जरूरी है?
A3. सहानुभूति बच्चों को दूसरों की भावनाओं को समझने और उनका सम्मान करने में मदद करती है, जिससे वे संवेदनशील और जिम्मेदार बनते हैं।

Q4. बच्चों में मनी मैनेजमेंट कैसे सिखाएं?
A4. बच्चों को पॉकेट मनी दें और सिखाएं कि पैसे कैसे बचाएं और सही तरीके से खर्च करें।

माता-पिता के रूप में, यह एक संतोषजनक अनुभव है जब आप अपने बच्चे में इन गुणों का विकास होते देखते हैं। मैंने खुद देखा है कि कैसे मेरा बेटा जब पहली बार अपनी पॉकेट मनी को संभालने लगा, तो उसमें एक नई जिम्मेदारी की भावना आई। इसी तरह, जब वह समय का सही इस्तेमाल करना सीखता है, तो मुझे गर्व होता है। ये छोटे-छोटे कदम बच्चों को बड़े सपनों की ओर ले जाते हैं।

Author
Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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