नवजात शिशु को दूध कैसे पिलाना चाहिए? यहाँ जाने जरुरी टिप्स

क्या आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है? अगर नहीं, तो हो सकता है कि आप गलत तकनीक अपना रहे हों! जानिए स्तनपान (Breastfeeding) और बोतल से दूध पिलाने के सही तरीके, शिशु की भूख के संकेत, और विशेषज्ञों के सुझाव जो हर माता-पिता को पता होने चाहिए!

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By Nutan Bhatt

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Newborn baby ko doodh kaise pilana chahiye

नवजात शिशु को दूध पिलाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाती है। चाहे आप स्तनपान (Breastfeeding) करवा रही हों या बोतल से दूध पिला रही हों, सही तकनीक और समय का ध्यान रखना आवश्यक है।

स्तनपान की महत्ता और सही तरीका

स्तनपान शिशु के लिए सर्वोत्तम पोषण का स्रोत है। मां का दूध शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और उसे विभिन्न संक्रमणों से बचाता है। स्तनपान के दौरान, शिशु का मुंह पूरी तरह से निप्पल और एरोला (निप्पल के आसपास का गहरा हिस्सा) को कवर करना चाहिए। शिशु की ठोड़ी स्तन को छूनी चाहिए, और उसका पेट मां के पेट की ओर होना चाहिए। इससे शिशु को दूध (Navjaat shishu ko dudh kese pilana chahiye) चूसने में आसानी होती है और मां को भी दर्द नहीं होता।

दूध पिलाने की आवृत्ति और अवधि

नवजात शिशु को दिन में 8 से 12 बार दूध पिलाना चाहिए, यानी हर 1.5 से 3 घंटे में। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, दूध पिलाने की आवृत्ति कम हो सकती है, लेकिन प्रत्येक सत्र की अवधि बढ़ सकती है। प्रत्येक सत्र में शिशु को कम से कम 20 मिनट तक दूध पिलाना उचित होता है। हालांकि, यह शिशु की भूख और उसकी चूसने की क्षमता पर निर्भर करता है।

बोतल से दूध पिलाने के लिए सुझाव

यदि आप बोतल से दूध पिला रही हैं, तो सुनिश्चित करें कि बोतल और निप्पल (Nipple) साफ और कीटाणुरहित हों। दूध को उचित तापमान पर गर्म करें, ताकि शिशु को जलन न हो। बोतल को शिशु के होंठों के पास लाएं, और जब वह मुंह खोले, तो निप्पल को उसके मुंह में डालें। शिशु के सिर को सहारा दें, ताकि वह आराम से सांस ले सके और दूध पी सके। दूध पिलाने के बाद, शिशु को डकार दिलवाना न भूलें, जिससे उसके पेट में जमा हवा बाहर निकल सके।

शिशु के भूख के संकेत

शिशु अपनी भूख को विभिन्न संकेतों के माध्यम से व्यक्त करता है, जैसे कि मुंह खोलना, उंगलियां चूसना, या सिर घुमाना। इन संकेतों को पहचानकर, आप समय पर शिशु को दूध पिला सकती हैं, जिससे वह संतुष्ट और खुश रहता है।

रात में दूध पिलाना

रात में भी शिशु को हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाना आवश्यक है। यदि शिशु 4 घंटे से अधिक समय तक सो रहा है, तो उसे धीरे से उठाकर दूध पिलाएं। रात में दूध पिलाने से मां के दूध का उत्पादन बढ़ता है और शिशु का विकास भी बेहतर होता है।

सफाई और स्वच्छता का ध्यान

दूध पिलाने के उपकरणों की सफाई और कीटाणुरहित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। बोतल, निप्पल, और अन्य उपकरणों को हर उपयोग के बाद गर्म पानी और साबुन से धोएं, और उन्हें कीटाणुरहित करने के लिए उबालें या स्टीम स्टरलाइज़र का उपयोग करें। साफ-सफाई का ध्यान रखने से शिशु को संक्रमण से बचाया जा सकता है।

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(FAQs)

प्रश्न 1: क्या शिशु को दूध पिलाने के लिए जगाना चाहिए?

उत्तर: हां, यदि शिशु 4 घंटे से अधिक समय तक सो रहा है, तो उसे धीरे से उठाकर दूध पिलाना चाहिए, ताकि उसकी पोषण आवश्यकताएं पूरी हो सकें।

प्रश्न 2: बोतल से दूध पिलाने के लिए कौन सा दूध उपयुक्त है?

उत्तर: यदि मां का दूध उपलब्ध नहीं है, तो शिशु के लिए इन्फेंट फॉर्मूला (Infant Formula) दूध का उपयोग किया जा सकता है। गाय का दूध 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं के लिए उपयुक्त नहीं होता।

प्रश्न 3: दूध पिलाने के बाद शिशु को डकार दिलाना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: दूध पिलाने के दौरान शिशु हवा निगल सकता है, जो उसके पेट में गैस का कारण बनती है। डकार दिलाने से यह हवा बाहर निकल जाती है, जिससे शिशु को आराम मिलता है।

प्रश्न 4: शिशु को दूध पिलाने के बाद कितनी देर तक सीधा रखना चाहिए?

उत्तर: दूध पिलाने के बाद शिशु को लगभग 10 से 15 मिनट तक सीधा रखें, ताकि उसे डकार आ सके और दूध ठीक से पच सके।

Author
Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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