इन 5 वजहों से पेरेंट्स की बात नहीं सुनते बच्चे, करते हैं ये गलतियां तो सुधार लें आदत

Reasons why do not kids listen to their parents: बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन देना बहुत जरूरी है। सकारात्मक संवाद, आदतों में सुधार और सहानुभूति से पेरेंट्स अपने बच्चों की दुनिया में बदलाव ला सकते हैं।

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By Nutan Bhatt

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Reasons why do not kids listen to their parents

बच्चे माता-पिता की बात क्यों नहीं सुनते: पेरेंट्स और बच्चों के बीच की बातें, समझ और असहमति अक्सर आम होती हैं। कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि हमारे बच्चे हमारी बात नहीं सुनते या हमारी सलाहों को नजरअंदाज कर देते हैं। यह स्थिति खासतौर पर किशोरावस्था में और भी बढ़ जाती है, जब बच्चे अपने विचारों और स्वतंत्रता के बारे में और ज्यादा सजग हो जाते हैं। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा बहुत कम सुनता है या बहुत बार आपकी बातों को नकारता है, तो यह सामान्य चिंता का विषय हो सकता है।

इस लेख में, हम समझेंगे कि क्यों बच्चे अक्सर पेरेंट्स की बात नहीं सुनते, (Kyu aksar bache parents ki baat nahi sunte) और साथ ही कुछ आदतें और गलतियां जिनसे आपको और आपके बच्चे को बचने की जरूरत है। हम ये भी देखेंगे कि सकारात्मक तरीके से बच्चों को कैसे समझाया जा सकता है, जिससे वे आपकी बातों को और बेहतर तरीके से समझें और उस पर अमल करें।

बिंदुविवरण
बच्चों की अवहेलना के कारणक्यों बच्चे पेरेंट्स की बातों को नजरअंदाज करते हैं।
बच्चों की गलत आदतेंवो आदतें जो बच्चों की अवहेलना में योगदान देती हैं।
सुधार के उपायपेरेंट्स को बच्चों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के तरीके।
सकारात्मक पैरेंटिंगबच्चे के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सहायक रणनीतियाँ।

1. बच्चों की अवहेलना के प्रमुख कारण

बच्चों के पेरेंट्स की बातों को नजरअंदाज करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। ये कारण बच्चों की आवश्यकताएँ, स्वतंत्रता की चाहत, और पेरेंट्स के साथ संवाद की गलतियाँ हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि क्यों बच्चे पेरेंट्स की बात नहीं सुनते:

बच्चों को ज्यादा नियंत्रण से परेशानी होती है

हर बच्चा चाहता है कि उसे स्वतंत्रता मिले। जब पेरेंट्स बहुत ज्यादा नियम और आदेश देते हैं, तो बच्चे इसे दबाव के रूप में महसूस करते हैं। इससे उनका मन नहीं लगता और वे बातों को नजरअंदाज करने लगते हैं। अगर पेरेंट्स बच्चों को थोड़ी अधिक स्वतंत्रता और फ्रीडम देते हैं, तो वे आपके सुझावों को ज्यादा गंभीरता से लेंगे।

बहुत अधिक डांट-फटकार से बचने की कोशिश

बच्चे अक्सर इस डर से आपकी बात नहीं सुनते कि उन्हें डांट या सजा मिल सकती है। जब पेरेंट्स बच्चों को बहुत ज्यादा डांटते हैं, तो बच्चे अपनी भावनाओं को छिपाने के लिए जवाब देने की बजाय चुप हो जाते हैं। सकारात्मक reinforcement (प्रोत्साहन) की कमी से भी बच्चे आपकी बातों को नकार सकते हैं।

ध्यान भटकाने वाले गैजेट्स

आजकल के बच्चों के पास स्मार्टफोन, टैबलेट्स और टीवी जैसी चीजें हैं, जो उन्हें अपनी बातों पर ध्यान केंद्रित करने से रोकती हैं। ये गैजेट्स बच्चों के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और जब आप उन्हें कुछ कह रहे होते हैं, तो वे ध्यान से सुन नहीं पाते। अगर बच्चा फोन या टीवी में व्यस्त है, तो उसे समझाना और उसकी बातों का ध्यान रखना कठिन हो सकता है।

माता-पिता का अभावपूर्ण संवाद

कभी-कभी पेरेंट्स का संवाद सुनने की बजाय सिर्फ कहने पर ध्यान केंद्रित होता है। अगर माता-पिता बच्चों से सही तरीके से संवाद नहीं करते और केवल आदेश देते हैं, तो बच्चे अपनी बात को ठीक से नहीं समझ पाते। यह एक बड़ी वजह हो सकती है कि बच्चे आपकी बातों को नजरअंदाज करते हैं।

दूसरों से ज्यादा प्रभावित होना

बच्चे अक्सर अपने दोस्तों या बाहरी वातावरण से ज्यादा प्रभावित होते हैं। वे सोशल मीडिया या दोस्तों के दबाव में अपनी राय बनाने लगते हैं और पेरेंट्स की सलाह को नजरअंदाज कर सकते हैं। ऐसे में बच्चे की विचारधारा पर अपने दोस्तों या इंटरनेट का ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

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2. बच्चों की गलत आदतें और सुधार के उपाय

बच्चों की अवहेलना को अच्छे तरीके से संभालने के लिए, पेरेंट्स को उनकी आदतों और व्यवहार में सुधार के लिए कुछ आसान उपायों को अपनाना होगा। अगर आप सही दिशा में काम करेंगे, तो आपके बच्चे आपको न सिर्फ ज्यादा सुनेंगे, बल्कि आपके साथ अच्छा संवाद भी करेंगे।

अपने बच्चे के साथ खुला और सहायक संवाद स्थापित करें

जब आप बच्चों से संवाद करते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि सुनने की प्रक्रिया दोनों तरफ से हो। यदि आप बच्चे से बात कर रहे हैं, तो पहले उनकी राय और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। इससे बच्चा महसूस करेगा कि उसकी बातों का सम्मान किया जा रहा है, और वह आपकी बातों को ज्यादा ध्यान से सुनेगा।

उदाहरण: अगर बच्चा देर से सोने का आदी है, तो उसे डांटने के बजाय उसके दिनभर की गतिविधियों के बारे में बात करें और समझाएं कि अच्छी नींद से उसकी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

नियमों में लचीलापन रखें

अत्यधिक कड़े नियम बच्चों को चिढ़ा सकते हैं। इसलिए पेरेंट्स को कभी-कभी लचीलापन दिखाना चाहिए। छोटे बच्चे भी खुद को व्यक्त करना चाहते हैं, और उन्हें अपने फैसले लेने का मौका देना जरूरी है। लेकिन इसके साथ ही यह सुनिश्चित करें कि बच्चे को सही दिशा दिखाई जाए।

उदाहरण: बच्चे को डिनर के समय खेलने या टीवी देखने की बजाय एक स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करें।

एक ही बार में बहुत कुछ न कहें

कभी-कभी पेरेंट्स बहुत सारी बातें एक साथ कह देते हैं, जो बच्चों के लिए समझना और उस पर अमल करना कठिन हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप छोटे-छोटे स्पष्ट और सरल निर्देश दें।

उदाहरण: अगर आपको अपने बच्चे को एक साथ कई काम करने के लिए कहना है, तो उन्हें एक-एक करके समझाएं, जैसे “पहले अपना बैग समेटो, फिर अपने कमरे में झाड़ू लगाओ।”

उदाहरण के रूप में सामने आएं

बच्चे अपने माता-पिता को देखकर ही सीखते हैं, इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी बात सुने, तो सबसे पहले आपको खुद अच्छे व्यवहार दिखाने होंगे। यदि आप खुद नियमों का पालन करते हैं, तो बच्चा आपके उदाहरण से प्रेरित होगा।

उदाहरण: अगर आप चाहते हैं कि बच्चा किताबें पढ़े, तो खुद भी पढ़ाई में रुचि दिखाएं।

4. FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. मेरे बच्चे ने मेरी बातों को नजरअंदाज किया है, मुझे क्या करना चाहिए?

आपको सबसे पहले बच्चे से शांतिपूर्ण तरीके से बात करनी चाहिए और उसके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करनी चाहिए। समझाने के बाद, उसे धीरे-धीरे अपने विचार और आदतों में सुधार करने के लिए प्रेरित करें।

2. क्या बच्चों के लिए नियम और सीमाएं महत्वपूर्ण हैं?

हां, बच्चों के लिए नियम और सीमाएं बहुत जरूरी हैं, लेकिन यह नियम लचीले और समझदारी से बनाए जाने चाहिए। इससे बच्चा अधिक स्वतंत्रता महसूस करता है और नियमों का पालन करने में सहज रहता है।

बच्चों का पेरेंट्स की बातों को न सुनना सामान्य रूप से एक समस्या हो सकती है, लेकिन इसे सही तरीके से समझकर और सकारात्मक कदम उठाकर इसे हल किया जा सकता है। समझदारी और धैर्य के साथ बच्चों के साथ संवाद करना, और उन्हें स्वतंत्रता के साथ-साथ दृष्टिकोण देना बेहद जरूरी है। यदि आप इन बातों का पालन करेंगे, तो आपके बच्चे आपके साथ अच्छे संबंध बनाए रखेंगे और आपकी बातों को ज्यादा ध्यान से सुनेंगे।

Author
Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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