बच्चों को बोतल से दूध पिलाने से हो सकते हैं ये 5 नुकसान, जानें जरूरी सावधानियां

बच्चों की सेहत के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए। यदि बोतल से दूध पिलाने के दौरान कोई समस्या दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

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By Nutan Bhatt

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bacho ko bottle se dudh pilane ke nuksaan

बच्चों को बोतल से दूध पिलाने से हो सकते हैं ये 5 नुकसान: अक्सर हमने देखा है कि छोटे बच्चे बोतल से दूध पीते हैं। यह आदत कई बच्चों में लंबे समय तक बनी रहती है। हालांकि, चिकित्सकों का कहना है कि इस आदत को समय रहते छुड़वाना चाहिए, खासकर जब बच्चा 18 महीने का हो जाए। बच्चों को बोतल से दूध पिलाना एक आसान तरीका लगता है, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं, जो उनकी सेहत और विकास को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बोतल से दूध पिलाने के क्या नुकसान हो सकते हैं (bacho ko bottle se dudh pilane ke nuksaan) और इससे बचने के लिए किन सावधानियों का पालन करना चाहिए।

बच्चों को क्यों जरूरी है बोतल से दूध छुड़वाना?

बोतल से दूध पिलाने की प्रक्रिया कुछ समय के लिए सुविधाजनक हो सकती है, लेकिन लंबे समय तक इसे जारी रखना सही नहीं है। बोतल से दूध पीने के कारण बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मां का दूध बच्चों के लिए सबसे अधिक पौष्टिक और फायदेमंद होता है, खासकर पहले छह महीनों में।

अगर किसी कारणवश मां का दूध नहीं मिल पाता है और चिकित्सक की सलाह पर बोतल का दूध पिलाना पड़ता है, तो इसे समय के साथ छोड़ने की आदत डालनी चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं कि बोतल से दूध पिलाने के क्या नुकसान हैं।

बोतल से दूध पिलाने के नुकसान

1. डायरिया का खतरा

बोतल से दूध पिलाने पर बच्चे को डायरिया होने का खतरा अधिक रहता है। बोतल का निप्पल अक्सर बैक्टीरिया और जर्म्स का केंद्र बन सकता है। जब बोतल को ठीक से साफ नहीं किया जाता, तो माइक्रोऑर्गैनिज्म निप्पल पर चिपक सकते हैं और दूध के माध्यम से बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। खासकर कमजोर इम्यूनिटी वाले या अंडरवेट बच्चों के लिए यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

2. माइक्रोप्लास्टिक का जोखिम

बोतलें आमतौर पर पॉलीप्रोलीन नामक प्लास्टिक से बनाई जाती हैं। जब इनमें गर्म दूध डाला जाता है, तो माइक्रोप्लास्टिक तत्व दूध में मिल सकते हैं। 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक बोतलों के जरिए शिशुओं को माइक्रोप्लास्टिक एक्सपोज़र का खतरा रहता है। यह न केवल उनकी सेहत को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उनके विकास को भी धीमा कर सकता है।

3. पोषण की कमी

मां का दूध बच्चों के लिए एक संपूर्ण आहार होता है, जिसमें कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके विपरीत, बोतल से दिया जाने वाला दूध इन पोषक तत्वों में कमी का कारण बन सकता है। इससे बच्चे को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता और उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

4. फेफड़ों की समस्या

बोतल से दूध पिलाने के दौरान बच्चे के फेफड़ों में समस्या हो सकती है। कई बार बच्चा दूध पीते-पीते सो जाता है, जिससे दूध उसके गले में अटक सकता है और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है और फेफड़ों की कार्यक्षमता पर भी असर डाल सकती है।

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5. इम्यून सिस्टम कमजोर होना

मां के दूध में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे की इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं। बोतल से दिया जाने वाला दूध इन पोषक तत्वों से वंचित होता है। इसके अलावा, बोतल से दूध पीने के दौरान शरीर में मौजूद जर्म्स न्यूट्रीएंट्स के अवशोषण को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।

बोतल से दूध पिलाने की आदत छुड़ाने के तरीके

बोतल से दूध पिलाने की आदत छुड़ाना माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह बच्चों की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। इसके लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

1. धीरे-धीरे आदत बदलें

बच्चे को तुरंत बोतल से दूध छुड़ाने की कोशिश न करें। पहले दिन में केवल एक बार बोतल की जगह कप या कटोरी का उपयोग करें। धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।

2. छोटे कप का उपयोग करें

शुरुआत में छोटे और रंगीन कप का उपयोग करें, जो बच्चों को आकर्षित करें। इससे बच्चा कप से दूध पीने के लिए प्रेरित होगा।

3. दूध का समय निर्धारित करें

बच्चे को समय पर दूध पिलाने की आदत डालें। बोतल का उपयोग केवल बहुत जरूरत होने पर ही करें।

4. सकारात्मक प्रोत्साहन दें

जब बच्चा कप से दूध पीने लगे, तो उसकी तारीफ करें और उसे प्रोत्साहित करें।

5. अन्य पेय पदार्थ शामिल करें

दूध के साथ-साथ बच्चे को अन्य पौष्टिक पेय पदार्थ, जैसे फलों का रस, सूप आदि का सेवन करवाएं।

सावधानियां

बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के दौरान निम्नलिखित सावधानियों का पालन करें:

  • सफाई: बोतल को हर बार उपयोग से पहले और बाद में अच्छी तरह से साफ करें।
  • गर्म दूध से बचें: प्लास्टिक की बोतल में गर्म दूध डालने से बचें, क्योंकि इससे माइक्रोप्लास्टिक तत्व रिलीज़ हो सकते हैं।
  • बोतल सुखाएं: उपयोग के बाद बोतल को अच्छी तरह से सुखाएं, ताकि जर्म्स पनपने की संभावना कम हो।
  • पुरानी बोतल न इस्तेमाल करें: समय-समय पर बोतल बदलें और पुराने निप्पल का उपयोग न करें।

निष्कर्ष

बच्चों को बोतल से दूध पिलाना एक आम प्रथा है, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह बच्चों की सेहत और विकास दोनों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को समय पर बोतल से दूध छुड़ाकर कप से दूध पीने की आदत डालें। इसके लिए धैर्य और सही तरीके अपनाना जरूरी है।

Author
Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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