नए माता-पिता के लिए छोटे बच्चों की कई आदतों को समझना एक नया अनुभव होता है। हालांकि इन आदतों में बच्चों की नींद एक विवाद का विषय हो सकती है, नवजात शिशु को देखकर अक्सर माता-पिता को लगता है की वह अवश्यकता से अधिक सो रहे हैं हालांकि बड़ों की तरह छोटे बच्चे भी थका हुआ महसूस करते हैं, कई बार सोने के बाद भी बच्चे थके हुए लगते हैं। ऐसे में बच्चे की नींद के लिए अनुकूल वातावरण होने के बाद भी असहजता और सोने में कठिनाई उनकी नींद अवरूद्ध कर देती है।
बच्चों में थकान होना एक सामान्य बात है, लेकिन अगर आपका बच्चा बहुत ज़्यादा थका हुआ महसूस कर रहा है और उसकी ऊर्जा में कमी दिख रही है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों में थकान के संभावित कारण क्या हो सकते हैं और इसके समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
क्यों थक जाते हैं आसानी से बच्चे?
बड़े लोग थका हुआ महसूस करने पर नींद पूरी करके अपने थकान दूर कर लेते हैं, हालांकि छोटे बच्चे में कौशल या क्षमता उत्पन्न नही होती की वह समझ सकें की थका हुआ महसूस करने पर उन्हें आराम करना चाहिए। वहीं थके हुए बच्चे को शांत करने की कोशिश करने पर बच्चा उसका उतना ही विरोध करता है। शिशुओं को बहुत अधिक नींद की आवश्यकता होती है और अगर वे सामान्य समय से अधिक समय तक जागते रहते हैं, तो वे अत्यधिक थकान का शिकार हो सकते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि जब वे थका हुआ महसूस करने लगते हैं, तो उन्हें यह समझ नहीं आता कि नींद ही उन्हें बेहतर महसूस कराएगी।
डॉ. स्मिडी यूसुफ़ बताती हैं, “बच्चे खुद को नियंत्रित करने में बहुत अच्छे नहीं होते हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम यह जानने में बेहतर होते जाते हैं कि हम कब थके हुए हैं, लेकिन शिशुओं में ऐसा करने की क्षमता नहीं होती। अगर हम उन्हें सोने के लिए नहीं कहते हैं, तो उनका दिमाग खाली हो जाता है और वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उन्हें सुलाना मुश्किल हो सकता है। बच्चों में 6 महीने की आयु तक नींद चक्र विकसित नही होता है, ऐसे में यह माता-पिता पर निर्भर करता है की उन्हे यह सुनिश्चित करना चाहिए की बच्चा एक दिन में कम से कम 16 से 17 घंटे की नींद पूरी कर रहा है।
अधिक थके हुए बच्चे के लक्षण
अगर आपको लगता है की आपका बच्चा अधिक थका हुआ है, तो यह निम्नलिखित लक्षण आपके बच्चे में दिखाई दे सकते हैं।
- जमाई लेना
- उद्धम मचाना
- अपना चेहरा रगड़ना
- अधिक रोना
- क्रोधित या चिड़चिड़ापन
- खेलना का मन नहीं होना
बच्चे को थकान से बचाने के तरीके
बच्चों में थकान को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों को समय पर सोने की आदत डाली जाए। यदि बच्चे को सोने में कठिनाई हो रही है तो उसे सोने की दिनचर्या को 30 मिनट पहले शुरू करने का प्रयास करें। बच्चों में थकान के शुरुआती लक्षणों को पहचानना भी महत्वपूर्ण है। यह लक्षण बहुत सूक्ष्म हो सकते हैं, जैसे चेहरे या आंखों को छूना, जम्हाई लेना, धीरे-धीरे पलकें झपकाना और चिपक जाना। जैसे ही ये लक्षण दिखें, बच्चे को लपेटकर बिस्तर पर लिटा दें। इसके साथ ही, साइड पोज़िशन, झूलना, चुप कराना जैसी तकनीकों का भी उपयोग करें, जिससे बच्चे को शांत करने और सोने में मदद मिल सकती है।
यदि आप बच्चे के साथ बाहर जा रहे हैं, तो उसके स्वभाव का ध्यान रखें। बहुत अधिक काम करने से बच्चे थक सकते हैं और चिड़चिड़े हो सकते हैं। जब भी संभव हो, नियमित शेड्यूल का पालन करना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इससे बच्चे को भावनात्मक स्थिरता में मदद मिलती है। हालांकि, माता-पिता के लिए यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि चीजें हमेशा योजना के अनुसार नहीं चलतीं। यदि आप 80% समय अपने निर्धारित रूटीन का पालन करते हैं, तो 20% समय की छोटी-मोटी बाधाओं के बावजूद, आपका बच्चा अपनी दिनचर्या में आसानी से वापस आ जाएगा और इससे वह अधिक थका हुआ भी महसूस नही करेगा।
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एक्सपर्ट्स से जाने थके हुए बच्चे को सुलाने का तरीका
जब बच्चे बहुत ज्यादा थक जाते हैं, तो उनके शरीर में कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। इससे वे और भी ज्यादा बेचैन हो जाते हैं और उन्हें सोने में दिक्कत होती है। डॉ. ऑल्टमैन बताती हैं, “अत्यधिक थकावट तनाव प्रतिक्रिया को सक्रिय करती है, जिससे बच्चे के लिए शांत रहना और सोना मुश्किल हो जाता है।” ऐसे में बच्चे को आराम दिलाने या देखभाल करने के लिए यह सुनिश्चित करें की उसके आस-पास एक शांत माहौल हो और रोशनी न हो इससे बच्चे की आंखों को आराम मिलेगा साथ ही आप चाहें तो नींद को बढ़ावा देने के लिए वाइट नॉइज़ साउंड ऐप का इस्तेमाल से भी बच्चे को आराम मिल सकता है।
कुछ बच्चों को यदि इसमें भी सोने में परेशानी होती है तो यह भी हो सकता है की बच्चे को भूख के कारण सोने में समस्या हो रही है। ऐसे में यह जरूर सुनिश्चित करें की बच्चे का पेट भरा रहे इसके लिए उसे समय पर स्तनपान या फार्मूला मिल्क देते रहें। विशेषज्ञों की माने तो बच्चे को सुलाने के कई तरीकों में से माता-पिता इस एक तरीके को आजमाकर देख सकते हैं, जिसमे उन्हे पहले पांच मिनट बच्चे को पकड़कर टहलना है, उसके बाद आठ मिनट तक उसे पकड़कर बैठ जाएं अब उसे पालने में सुला दें। इस तरीके से अत्यधिक थका हुए बच्चे को भी सोने में आसानी होती है।
डॉक्टर से कब परामर्श लें
अगर आप अपने बच्चे के रोजाना दिनचर्या में बनाए गए शेड्यूल का पालन करने के बाद भी अधिक बदलाव नहीं देखते हैं या आपको लगता है की आपका बच्चा शांत होने या उसे नींद आने में संघर्ष करना पड़ रहा है। तो आप बाल रोग विशेषज्ञ से इसपर परामर्श ले सकते हैं। मुख्य तौर पर जब आपका बच्चा 6 महीने या उससे बड़ा हो जाता है और उसकी नींद की आदतों में सुधार नही आता या वह रातभर सोने की जगह जागने लगता है या आपके बिना सोने से इंकार कर देता है। इसके अलावा यदि वह सोते समय झटकेदार हरकतें या असामान्य आवाजें निकालने लगता है तो आप स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से इस बारे में चर्चा करनी चाहिए।
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