
सबसे पहले बच्चे को क्या बोलना सिखाएं: हर माता-पिता अपने बच्चे के मुंह से पहला शब्द सुनने के लिए उत्सुक रहते हैं। उनकी यह ख्वाहिश होती है कि बच्चा सबसे पहले “मां” या “पापा” बोले। यही कारण है कि जन्म के शुरुआती महीनों में माता-पिता अपने बच्चे को बार-बार ये शब्द सिखाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, भारतीय संस्कृति में यह भी माना जाता है कि बच्चे को सबसे पहले भगवान का नाम सिखाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर बच्चे को भगवान का नाम बोलना सिखाया जाए, तो वह संस्कारी और गुणवान बनता है। बच्चों को भक्ति और धर्म से जोड़ना उनके भविष्य को उज्ज्वल और सकारात्मक बना सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों को सही संस्कार देने और उनकी परवरिश (bacho ki achi parvarish or ache sanskaar kese sikhaye) को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए जा सकते हैं।
बच्चे को पहला शब्द क्या सिखाएं?
1. भगवान का नाम सिखाने की परंपरा
भारत में सदियों से यह परंपरा रही है कि बच्चे को सबसे पहले भगवान का नाम सिखाया जाए। कई परिवारों में नवजात शिशु के मुंह में शहद से भगवान का नाम लिखने की परंपरा है, ताकि वह बचपन से ही आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़ा रहे। यह मान्यता है कि अगर बच्चा अपने पहले शब्द के रूप में भगवान का नाम लेता है, तो उसकी सोच और व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. पसंद के अनुसार भगवान का नाम बुलवाएं
अगर आप अपने बच्चे को धार्मिक भावनाओं से जोड़ना चाहते हैं, तो आप उसे अपनी पसंद के अनुसार किसी भी देवी-देवता का नाम सिखा सकते हैं। कुछ लोकप्रिय नामों में “राम,” “कृष्ण,” “शिव,” “राधा,” “हरी,” आदि शामिल हैं। जब बच्चा बार-बार यह नाम सुनेगा, तो वह इन्हें अपने पहले शब्दों में शामिल कर सकता है।
बच्चों को आध्यात्मिक संस्कार देने के 7 असरदार तरीके
1. बच्चे के नाम में भगवान का नाम शामिल करें
हिंदू धर्म में यह परंपरा रही है कि बच्चों के नाम भगवान के नाम पर रखे जाते हैं। जैसे राम, कृष्ण, शिव, लक्ष्मी, दुर्गा, राधा, हनुमान, आदि। ऐसा करने से बच्चा जीवनभर भगवान के नाम से जुड़ा रहता है और उसे अपने नाम के साथ धार्मिकता का एहसास होता है।
2. रोज सुबह बच्चे को भगवान का नाम लेने की आदत डालें
बच्चों को बचपन से ही यह सिखाना जरूरी है कि वे दिन की शुरुआत भगवान के नाम से करें (bacho ko sabse pehle kya bolna sikhaye)। इससे उनमें सकारात्मकता बनी रहती है और उनके मन में ईश्वर के प्रति श्रद्धा विकसित होती है।
3. धार्मिक कहानियों के माध्यम से भगवान से जोड़ें
बच्चों को धार्मिक कहानियों के माध्यम से भगवान के बारे में सिखाया जा सकता है। पौराणिक कथाएं जैसे कि रामायण, महाभारत, श्रीकृष्ण की लीलाएं, पंचतंत्र की नैतिक कहानियां, आदि बच्चों में धार्मिक रुचि बढ़ाने में सहायक होती हैं।
4. धार्मिक भजन और मंत्र सुनाने की आदत डालें
बच्चों को सुबह या रात में सोने से पहले धार्मिक भजन और मंत्र सुनाने से वे भगवान के नाम को जल्दी याद करने लगते हैं। यह उनकी स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
5. घर में पूजा-पाठ में बच्चों को शामिल करें
अगर माता-पिता बच्चे को बचपन से ही पूजा-पाठ में शामिल करेंगे, तो उनकी भगवान में आस्था मजबूत होगी। जब वे देखेंगे कि उनके माता-पिता नियमित रूप से पूजा कर रहे हैं, तो वे भी इसे अपनाने लगेंगे।
6. संस्कार और नैतिकता की शिक्षा दें
बच्चों को भगवान के नाम के साथ-साथ सही संस्कार और नैतिकता सिखाना भी आवश्यक है। उन्हें यह बताना चाहिए कि भगवान का नाम लेने का अर्थ केवल धार्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मतलब अच्छे काम करना, दूसरों की मदद करना और सच्चाई के रास्ते पर चलना भी है।
7. सकारात्मक माहौल दें
बच्चों को अगर धार्मिक और संस्कारी बनाना है, तो उन्हें घर में सकारात्मक और शांतिपूर्ण माहौल देना जरूरी है। घर में प्यार और सद्भाव का वातावरण बनाए रखें ताकि बच्चे को अच्छे संस्कार मिले।
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भगवान का नाम लेने के फायदे
- संस्कारों का विकास: भगवान का नाम लेने से बच्चे के मन में अच्छे संस्कार विकसित होते हैं और वह गलत चीजों से दूर रहता है।
- मानसिक शांति: धार्मिकता से जुड़े रहने से बच्चों के मन में शांति और स्थिरता बनी रहती है।
- सकारात्मक सोच: भगवान का नाम लेने से बच्चे के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और वे अधिक आत्मविश्वासी बनते हैं।
- आध्यात्मिक विकास: जब बच्चा भगवान के नाम से जुड़ा रहेगा, तो उसका आध्यात्मिक विकास होगा और वह सही-गलत में फर्क समझने लगेगा।
- भय और तनाव से मुक्ति: भगवान का नाम लेने से बच्चे के मन से डर और तनाव दूर होता है और वह अधिक खुश और संतुलित महसूस करता है।
बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन देने की माता-पिता की जिम्मेदारी
माता-पिता ही बच्चों के पहले गुरु होते हैं। वे जो संस्कार और शिक्षा अपने बच्चे को देंगे, उसी के अनुसार उनका व्यक्तित्व विकसित होगा। अगर माता-पिता अपने बच्चे को भगवान का नाम लेने और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने की प्रेरणा देंगे, तो इससे उसका चरित्र निर्माण होगा और वह एक अच्छा इंसान बनेगा।
बच्चों की परवरिश केवल उनके भौतिक विकास तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनका आध्यात्मिक और मानसिक विकास भी जरूरी है। जब बच्चे को भगवान का नाम लेने की आदत डाली जाती है, तो वह अच्छे संस्कारों से भरपूर होता है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे के पहले शब्द के रूप में भगवान का नाम सिखाने की कोशिश करें और उनके जीवन में धार्मिकता और नैतिकता को बनाए रखें। अगर बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन दिया जाए, तो वे संस्कारी और अच्छे इंसान बन सकते हैं।
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