Parenting Tips: बेटियों से कभी न कहें ये 4 बातें

बेटियों की परवरिश में धैर्य, समझदारी और सहानुभूति की जरूरत होती है। उन्हें स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के साथ बड़े करने के लिए माता-पिता को रूढ़िवादी सोच से बचना चाहिए। बेटियों को सशक्त बनाकर न केवल उनका भविष्य उज्ज्वल किया जा सकता है, बल्कि समाज में बदलाव की ओर भी कदम बढ़ाया जा सकता है।

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By Nutan Bhatt

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Parenting Tips: हर माता-पिता का सपना होता है कि उनकी बेटियां एक खुशहाल और स्वतंत्र जीवन जिएं। उन्हें एक ऐसा माहौल मिले जहां वे बिना किसी भय या दबाव के अपनी पहचान बना सकें। लेकिन कभी-कभी समाज के रूढ़िवादी विचार और परंपराएं माता-पिता के निर्णयों पर हावी हो जाती हैं। यह जरूरी है कि बेटियों की परवरिश के दौरान उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया जाए।

इस लेख में हम चर्चा करेंगे उन बातों की, जो माता-पिता को अपनी बेटियों के प्रति ध्यान में रखनी चाहिए, और साथ ही उन आदतों और बयानों की, जिनसे बचना चाहिए।

बेटियों को क्या सिखाना चाहिए?

1. हर काम करने की आजादी दें

  • लिंग के आधार पर कामों को विभाजित न करें।
  • बेटियों को यह महसूस कराने का प्रयास करें कि वे जो चाहें, वो कर सकती हैं।
  • उदाहरण: अगर आपकी बेटी किसी “पुरुष-प्रधान” माने जाने वाले करियर जैसे इंजीनियरिंग, मैकेनिक्स या फायरफाइटिंग में जाना चाहती है, तो उसे प्रोत्साहित करें।

2. अपनी बात कहने की स्वतंत्रता दें

  • बेटियों को उनके विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार दें।
  • उन्हें बताएं कि उनकी राय मायने रखती है, चाहे वह परिवार के छोटे फैसले हों या उनके करियर के बड़े निर्णय।

3. स्वस्थ जीवनशैली सिखाएं

  • वजन को लेकर आलोचना करने की बजाय, बेटियों को स्वस्थ खान-पान और नियमित व्यायाम की आदतें सिखाएं।
  • उन्हें समझाएं कि उनका शरीर उनकी पहचान नहीं है।

4. आत्मरक्षा के तरीके सिखाएं

  • बेटियों को आत्मरक्षा के लिए आवश्यक ट्रेनिंग दें।
  • यह उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाएगा।

5. आत्मनिर्भर बनाएं

  • बेटियों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • उन्हें अपने फैसले खुद लेने दें और उन्हें उन फैसलों के परिणामों का सामना करना सिखाएं।

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बेटियों से क्या नहीं कहना चाहिए?

1. “यह लड़कियों का काम नहीं है”

  • बेटियों को यह कहकर निराश न करें कि कुछ काम केवल लड़कों के लिए होते हैं।
  • उन्हें उनकी पसंद का करियर चुनने की स्वतंत्रता दें।

2. “तुम्हारा वजन बहुत ज्यादा है”

  • वजन को लेकर मजाक न करें या आलोचना न करें।
  • इसके बजाय, उन्हें स्वस्थ आदतों और आत्म-स्वीकृति के महत्व को सिखाएं।

3. “तुम ये कपड़े नहीं पहन सकती”

  • बेटियों को उनकी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी दें।
  • उन्हें यह सिखाएं कि आत्मसम्मान कपड़ों से नहीं, बल्कि उनकी सोच और कर्म से आता है।

4. “लड़कियों को जोर से नहीं हंसना चाहिए”

  • बेटियों को उनके स्वाभाविक हावभाव को व्यक्त करने से न रोकें।
  • उन्हें यह महसूस कराएं कि वे अपनी खुशी जाहिर कर सकती हैं, चाहे वह हंसना हो या कोई और भावना।

5. “तुम यह काम नहीं कर सकती”

  • बेटियों को यह बताने की बजाय कि वे कुछ नहीं कर सकतीं, उन्हें हर काम करने की हिम्मत दें।

बेटियों की परवरिश में माता-पिता की भूमिका

  1. सहानुभूति और समझदारी दिखाएं
    • बेटियों के विचारों और भावनाओं को समझें।
    • उनके प्रति सहानुभूति दिखाने से वे आपसे खुलकर बात कर पाएंगी।
  2. सकारात्मक दृष्टिकोण रखें
    • उनके प्रयासों की सराहना करें, चाहे परिणाम जैसा भी हो।
    • यह उनकी आत्मविश्वास और सकारात्मकता को बढ़ावा देगा।
  3. नियम स्पष्ट रखें
    • घर में साफ और समान नियम बनाएं, जो सभी पर लागू हों।
    • यह बेटियों को जिम्मेदार बनाता है।
  4. रोल मॉडल बनें
    • बच्चों के लिए एक आदर्श बनें।
    • उन्हें दिखाएं कि कैसे सही फैसले लिए जाते हैं और मुश्किल हालातों में शांत रहा जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?

उत्तर:
माता-पिता बेटियों को उनके फैसले खुद लेने दें, वित्तीय स्वतंत्रता का महत्व समझाएं, और उन्हें अपने कौशल और करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।

2. क्या बेटियों को उनकी पसंद के कपड़े पहनने देना सही है?

उत्तर:
हां, बेटियों को उनकी पसंद के कपड़े पहनने देना चाहिए। यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें खुद के प्रति सहज बनाता है।

3. अगर बेटी वजन बढ़ा लेती है, तो क्या करना चाहिए?

उत्तर:
बेटी को आलोचना करने के बजाय, स्वस्थ आहार और व्यायाम के महत्व को सिखाएं। सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।

4. कैसे समझें कि बेटी पर सामाजिक दबाव है?

उत्तर:
अगर बेटी अपने विचार व्यक्त करने से हिचकिचाती है या बार-बार खुद को दूसरों से तुलना करती है, तो यह सामाजिक दबाव का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में उससे खुलकर बात करें।

5. कैसे सुनिश्चित करें कि बेटी मजबूत और आत्मविश्वासी बने?

उत्तर:
उसे अपनी गलतियों से सीखने का अवसर दें, हर छोटे प्रयास के लिए प्रोत्साहित करें, और हमेशा उसके लिए सहायक बनें।

Author
Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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