क्या बच्चों को सोते समय दूध पिलाना चाहिए? जाने क्या कहते है डॉक्टर्स

माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि सोने से पहले दूध पिलाना बच्चों के लिए अच्छा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं? दांतों की सेहत, नींद की गुणवत्ता और आदतों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।

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By Nutan Bhatt

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Kya baccho ko sote samay doodh pilana chahiye

क्या बच्चों को सोते समय दूध पिलाना चाहिए: सोते समय बच्चों को दूध पिलाने का सवाल हर माता-पिता के मन में जरूर आता है। यह विषय शिशु के पोषण और उसकी आदतों के विकास से जुड़ा है। कई परिवारों में यह एक नियमित प्रक्रिया बन चुकी है, लेकिन इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझना जरूरी है।

सोते समय दूध पिलाने से बच्चों को आराम और सुरक्षा (Bacho ko sote samay dudh pilana chahiye) का एहसास होता है, खासकर शिशु अवस्था में। इसके अलावा, यह उन्हें शांत करने और नींद में लाने का एक कारगर तरीका माना जाता है। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं, जैसे दांतों की समस्या और पाचन संबंधी दिक्कतें।

बच्चों को सोते समय दूध पिलाने के फायदे और नुकसान

फायदे

सोते समय दूध पिलाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बच्चों को सहज महसूस कराता है। कई बार छोटे बच्चे सोने से पहले या आधी रात में जागने पर असहज हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में दूध पिलाने से उन्हें तुरंत राहत मिलती है। यह विशेष रूप से नवजात शिशुओं के लिए फायदेमंद है, क्योंकि उनकी नींद के पैटर्न अभी विकसित हो रहे होते हैं।

दूध में मौजूद पोषण तत्व, जैसे कैल्शियम और प्रोटीन, बच्चों के शारीरिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। सोने से पहले दूध पीने से यह सुनिश्चित होता है कि उनका शरीर रातभर पोषण प्राप्त कर सके। साथ ही, यह बच्चों की नींद में सुधार करता है और उन्हें रातभर भूख (kya bacho ko raat me dudh pilana chahiye) से जगने से बचाता है।

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नुकसान

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सोते समय दूध पिलाने से दांतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दूध में शुगर (लैक्टोज) होती है, जो रातभर दांतों पर जमा रह सकती है और कैविटी का कारण बन सकती है। इसे ‘बेबी बॉटल टुथ डिके’ भी कहा जाता है।

इसके अलावा, शिशु को सोते समय बार-बार दूध पिलाने की आदत पड़ सकती है, जो उसके आत्मनिर्भरता के विकास में बाधा बन सकती है। यह आदत तब समस्या बनती है, जब बच्चा बड़ा हो जाता है और उसे दूध के बिना सोने में दिक्कत होती है।

इसे कैसे संभालें?

यदि आप बच्चे को सोते समय दूध पिलाना चाहते हैं, तो इसे सही तरीके से करना बेहद जरूरी है। शिशु के दांतों की देखभाल के लिए, दूध पिलाने के बाद उसके मसूड़ों को साफ गीले कपड़े से पोंछें। इससे दांतों पर शुगर जमा नहीं होगी।

आप बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के बजाय कप या चम्मच का उपयोग कर सकते हैं, ताकि उसे बोतल की आदत न पड़े। यह पाचन में भी मदद करता है और बच्चों के सही खाने-पीने की आदतों को प्रोत्साहित करता है।

सोते समय दूध पिलाने की आदत को धीरे-धीरे कम करने के लिए, आप बच्चों को वैकल्पिक आराम के तरीके सिखा सकते हैं, जैसे गाने गाना, कहानी सुनाना या हल्के स्पर्श से सुलाना।

विशेषज्ञों की राय: बच्चों को सोते समय दूध पिलाना चाहिए या नहीं

बच्चों को सोते समय दूध पिलाना एक आम प्रथा है, जो अधिकांश माता-पिता अपनाते हैं। यह न केवल बच्चों को तुरंत शांत करने और सुलाने में मदद करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि बच्चे को रातभर पोषण मिलता रहे। हालांकि, विशेषज्ञों की राय इस विषय पर कुछ महत्वपूर्ण और विचारशील दृष्टिकोण प्रदान करती है।

फायदे और नुकसान का संतुलन

पोषण और मनोवैज्ञानिक लाभ

बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, सोते समय दूध पिलाना विशेष रूप से नवजात और छोटे शिशुओं के लिए फायदेमंद हो सकता है। इससे बच्चों को शारीरिक और मानसिक आराम मिलता है। दूध में मौजूद ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड बच्चे के दिमाग में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे उन्हें गहरी और सुकून भरी नींद आती है।

विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि रात में दूध पिलाने से नवजात शिशु की ऊर्जा की जरूरतें पूरी होती हैं, क्योंकि उनका मेटाबॉलिज्म बहुत तेज होता है। यह शिशु को भूख के कारण जागने से भी रोकता है।

संभावित दुष्प्रभाव

दूसरी ओर, दंत चिकित्सक और बाल रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि सोते समय दूध पिलाने से शिशु के दांतों की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। दूध में मौजूद शुगर (लैक्टोज) दांतों पर जम जाती है, जिससे ‘बेबी बॉटल टुथ डिके’ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि बच्चों को सोते समय दूध की आदत पड़ सकती है, जो उनकी आत्मनिर्भरता को प्रभावित कर सकती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उन्हें दूध के बिना सोने में दिक्कत हो सकती है, जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

पाचन समस्याएं

पाचन विशेषज्ञों का कहना है कि सोते समय ज्यादा दूध पिलाने से बच्चों में गैस, अपच या उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यदि बच्चा दूध पीते ही लेट जाता है, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।

विशेषज्ञों की सिफारिशें

1. दांतों की देखभाल

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि यदि आप बच्चे को सोते समय दूध पिलाते हैं, तो दूध पिलाने के बाद उसके मसूड़ों और दांतों को साफ गीले कपड़े या मुलायम ब्रश से पोंछें। इससे दांतों पर शुगर जमा होने से बचाव होगा।

2. बोतल की जगह कप का इस्तेमाल

बोतल की बजाय कप या चम्मच से दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। इससे न केवल दांतों की समस्याएं कम होती हैं, बल्कि बच्चों को बोतल की आदत भी नहीं पड़ती।

3. वैकल्पिक आरामदायक आदतें

सोते समय दूध की निर्भरता को कम करने के लिए विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि बच्चे को शांत करने के अन्य तरीकों का उपयोग करें, जैसे लोरी गाना, कहानी सुनाना या हल्के स्पर्श से सुलाना।

4. डाइट प्लान

बाल रोग विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि दिन के समय बच्चे को पर्याप्त पोषण दें, ताकि रात में उसे बार-बार भूख न लगे। दिन में सही मात्रा में ठोस आहार और दूध देने से रात का दूध पिलाना कम किया जा सकता है।

(FAQs)

प्रश्न: क्या सोते समय सिर्फ स्तनपान कराने से दांतों पर असर पड़ता है?
उत्तर: हाँ, स्तनपान में भी दूध की शुगर दांतों पर जम सकती है। इसलिए सफाई का ध्यान रखना जरूरी है।

प्रश्न: बच्चे को सोने से पहले कितनी मात्रा में दूध देना चाहिए?
उत्तर: बच्चे की उम्र और भूख के अनुसार दूध की मात्रा तय करें। छोटे शिशु के लिए थोड़ी मात्रा में और बड़े बच्चों के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करें।

प्रश्न: क्या सोते समय दूध पिलाने से गैस की समस्या हो सकती है?
उत्तर: हाँ, अगर बच्चा दूध पीने के तुरंत बाद लेट जाए तो गैस या पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दूध पिलाने के बाद उसे थोड़ा समय upright position में रखें।

नवजात शिशु से जुडी ऐसी कई बातें है जो हर माता-पिता को जाननी बेहद आवश्यक है आप हमारे इस आर्टिकल की मदद से नवजात शिशु की हरकतों के बारे में जान सकते है – नवजात शिशु से जुडी 10 आश्चर्यजनक तथ्य जो आपको नहीं पता होगी

Author
Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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