
बच्चों का गुस्सा कई बार माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। जब बच्चा छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है, चिल्लाता है या जिद पर अड़ जाता है, तो समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर वह ऐसा क्यों कर रहा है। बच्चों के गुस्से को मैनेज करने के लिए माता-पिता को सही रणनीति अपनानी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही तरीके अपनाए जाएं, तो बच्चे के गुस्से को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए कुछ खास आदतें अपनानी जरूरी हैं, जो बच्चे की मानसिक स्थिति को संतुलित करने में मदद करेंगी।
बच्चों की भावनाओं को समझें और स्वीकार करें
जब कोई बच्चा गुस्से में होता है, तो माता-पिता अक्सर उसे चुप कराने या डांटने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह तरीका गलत साबित हो सकता है। बच्चों की भावनाओं को समझना और उन्हें स्वीकार करना बहुत जरूरी है। जब बच्चा गुस्सा करे, तो उसे डांटने की बजाय उसकी भावनाओं को पहचानें और उससे प्यार से बात करें। साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि अगर बच्चे को यह अहसास हो कि उसकी भावनाओं को समझा जा रहा है, तो उसका गुस्सा धीरे-धीरे कम हो जाता है।
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शांत रहने का उदाहरण प्रस्तुत करें
बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की नकल करते हैं। अगर आप खुद छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं, तो बच्चा भी वैसा ही करेगा। इसलिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा गुस्से को नियंत्रित करना सीखे, तो सबसे पहले आपको खुद को शांत रखना होगा। जब कोई तनावपूर्ण स्थिति आए, तो गहरी सांस लें, सोच-समझकर प्रतिक्रिया दें और अपने बच्चे को दिखाएं कि किसी भी परिस्थिति में शांत कैसे रहा जाता है। धीरे-धीरे बच्चा भी यही आदत अपनाने लगेगा और गुस्से पर काबू पाना सीख जाएगा।
सकारात्मक गतिविधियों में शामिल करें
बच्चों की अतिरिक्त ऊर्जा को सही दिशा में लगाना बहुत जरूरी होता है। अगर वे सही गतिविधियों में व्यस्त रहेंगे, तो उनके अंदर गुस्से की भावना कम होगी। खेल-कूद, ड्रॉइंग, म्यूजिक, डांस और योग जैसी गतिविधियाँ उनके अंदर सकारात्मकता भरती हैं और तनाव को कम करने में मदद करती हैं। खासतौर पर योग और ध्यान बच्चों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने में बहुत कारगर साबित होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जो बच्चे नियमित रूप से खेलों और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेते हैं, वे कम गुस्सैल होते हैं और अधिक शांत और खुशमिजाज बने रहते हैं।
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ध्यान और योग का अभ्यास कराएं
बच्चों के गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और योग बेहद प्रभावी साबित हो सकते हैं। जब बच्चा गुस्सा करता है, तो उसके दिमाग में कई तरह की भावनाएँ चल रही होती हैं, जिनसे वह खुद भी अनजान होता है। ध्यान और योग से बच्चों को अपने मन को शांत करने में मदद मिलती है और वे बेहतर तरीके से अपनी भावनाओं को संभाल पाते हैं। हर रोज 10-15 मिनट ध्यान करने से बच्चे का मस्तिष्क शांत होता है और उसकी सोचने-समझने की क्षमता भी बढ़ती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को माइंडफुलनेस मेडिटेशन सिखाने से वे अधिक धैर्यवान और संयमित बन सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
1. बच्चों की भावनाओं को समझें और उन्हें अभिव्यक्त करने दें
बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. रश्मि गुप्ता का कहना है कि बच्चों का गुस्सा अक्सर उनकी अनकही भावनाओं और फ्रस्ट्रेशन का नतीजा होता है। जब बच्चा किसी चीज को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाता, तो वह गुस्से के रूप में प्रतिक्रिया देता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को उनके गुस्से की वजह पूछें और उन्हें अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने का अवसर दें।
डॉ. रश्मि के अनुसार, “अगर कोई बच्चा गुस्से में चीजें फेंकता है या रोने लगता है, तो उसे तुरंत डांटने की बजाय पहले उसकी बात सुनें। उसे यह महसूस कराएं कि उसकी भावनाएँ महत्वपूर्ण हैं और आप उसकी परेशानी को समझते हैं। इससे बच्चा धीरे-धीरे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त करना सीखता है।”
2. माता-पिता खुद शांत रहने का उदाहरण पेश करें
चाइल्ड बिहेवियर एक्सपर्ट डॉ. अमित वर्मा कहते हैं, “बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। अगर आप खुद छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं या तनाव में चिल्लाते हैं, तो बच्चा भी वही तरीका अपनाएगा।”
इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे खुद पर नियंत्रण रखें और गुस्से की स्थिति में शांत रहने का प्रयास करें। जब कोई मुश्किल स्थिति सामने आए, तो गहरी सांस लें, धैर्य बनाए रखें और सोच-समझकर प्रतिक्रिया दें। इससे बच्चा भी यह सीखेगा कि गुस्से पर कैसे काबू पाया जाए।
3. बच्चों को सकारात्मक गतिविधियों में शामिल करें
बाल विकास विशेषज्ञ डॉ. सुरभि सिंह के अनुसार, “बच्चों की अतिरिक्त ऊर्जा को सही दिशा में लगाना बेहद जरूरी है। अगर वे सही गतिविधियों में व्यस्त नहीं रहते, तो उनके अंदर चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ सकता है।”
बच्चों को खेलकूद, ड्रॉइंग, म्यूजिक, डांस और योग जैसी रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना चाहिए। इससे उनका दिमाग शांत रहता है और उनकी ऊर्जा सही दिशा में लगती है। डॉ. सुरभि कहती हैं, “जो बच्चे नियमित रूप से शारीरिक और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेते हैं, वे मानसिक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं और कम गुस्सा करते हैं।”
(FAQs)
1. क्या बच्चों का गुस्सा आना सामान्य है?
हाँ, बच्चों का गुस्सा आना स्वाभाविक है, क्योंकि वे अपनी भावनाओं को ठीक से समझ और व्यक्त नहीं कर पाते हैं। लेकिन अगर बच्चा बार-बार गुस्सा करता है और यह उसकी आदत बन रही है, तो इसे मैनेज करने की जरूरत होती है।
2. अगर बच्चा गुस्से में चीजें फेंकने लगे तो क्या करें?
बच्चे को शांत करने के लिए उसे सुरक्षित माहौल दें। गुस्सा कम होने के बाद प्यार से समझाएं कि इस तरह की हरकतें गलत हैं और उसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के बेहतर तरीके सिखाएं, जैसे कि बात करना, लिखना या ड्रॉइंग बनाना।
3. अगर बच्चा अपने दोस्तों या भाई-बहनों पर गुस्सा करता है तो क्या करें?
बच्चे को यह सिखाएं कि गुस्से को हिंसा में बदलना सही नहीं है। उसे संवाद और समस्या-समाधान के तरीके सिखाएं। अगर वह गुस्से में किसी को चोट पहुंचा रहा है, तो उसे तुरंत रोके और शांति से स्थिति को संभालें।
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