Baby Massage Tips: अपने नन्हें शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

शिशु की मालिश के लिए सही समय का चुनाव करना महत्वपूर्ण है। नहाने से पहले या बाद में मालिश करने के दोनों अपने-अपने फायदे हैं। नहाने से पहले मालिश शिशु को आराम और जलयोजन प्रदान करती है, जबकि नहाने के बाद की मालिश उसे बेहतर नींद के लिए तैयार करती है।

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By Nutan Bhatt

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shishu ki malis krne ka sahi samay kya hai

Baby Massage Tips: नवजात शिशु के साथ समय बिताना हर माता-पिता के लिए एक विशेष अनुभव होता है। अपने बच्चे की देखभाल करते समय, उसके साथ बिताए गए हर पल कीमती होते हैं। ऐसे में शिशु की मालिश एक अद्भुत तरीका है, जो न केवल बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होती है, बल्कि माता-पिता और बच्चे के बीच एक विशेष बंधन को भी मजबूत करती है। शिशु की मालिश से बच्चे को कई लाभ जैसी नींद में सुधार, सुस्ती दूर होना, बेचनी कम होना आदि मिलते हैं, ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि शिशु की मालिश का सही समय क्या है (shishu ki malish karne ka sahi samay kya hai), और इसके लाभ क्या हैं

शिशु की मालिश कब शुरू करें?

अक्सर नए माता-पिता के मन में यह सवाल उठता है कि शिशु की मालिश कब शुरू करनी चाहिए (Right Time To Massage Baby in Hindi)। विशेषज्ञों का मानना है कि शिशु के जन्म के पहले कुछ दिनों से ही मालिश शुरू की जा सकती है। हालांकि, शिशु की गर्भनाल के स्टंप के सूखने और गिरने का इंतजार करना ज़रूरी है, जो सामान्यतः 2-4 हफ्ते में होता है। इस दौरान, कोमल और सुरक्षित तकनीकों का उपयोग करते हुए मालिश की जानी चाहिए ताकि शिशु की नाज़ुक त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • शुरू करने का समय: 2-4 हफ्ते (गर्भनाल के गिरने के बाद)
  • कोमल तकनीक: नाज़ुक त्वचा के लिए विशेष ध्यान
  • गर्भनाल की देखभाल: गर्भनाल का सही ढंग से सूखना और गिरना आवश्यक

शिशु की तेल मालिश के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?

शिशु की तेल मालिश के लिए सबसे अच्छा समय अलग-अलग कारकों पर निर्भर करता है। यहां कुछ मुख्य कारक दिए गए हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए:

1. छह सप्ताह की जांच के बाद

शिशु की छह सप्ताह की चिकित्सा जांच के बाद ही तेल मालिश शुरू करनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि शिशु शारीरिक रूप से स्वस्थ है और मालिश के लिए तैयार है।

2. भोजन के बाद का समय

शिशु को दूध पिलाने के तुरंत बाद मालिश करने से बचें, क्योंकि इससे शिशु को असुविधा हो सकती है या उल्टी हो सकती है। मालिश शुरू करने से पहले दूध पिलाने के कम से कम 45 मिनट से एक घंटे तक प्रतीक्षा करें।

3. शिशु के मूड का ध्यान रखें

मालिश का समय चुनते समय शिशु के मूड को समझें। अगर शिशु चिड़चिड़ा या रो रहा है, तो यह मालिश के लिए उचित समय नहीं है। शिशु के शांत और खुशहाल होने पर मालिश करने से वह इस अनुभव का आनंद उठा सकेगा।

4. शिशु के नींद के पैटर्न पर विचार करें

शिशु के सोने या झपकी लेने से पहले मालिश करना उसे आराम और बेहतर नींद के लिए तैयार कर सकता है। यह मालिश के लिए सबसे अच्छा समय हो सकता है।

शिशु मालिश का आदर्श समयविवरण
जन्म के बाद 2-4 हफ्तेगर्भनाल के गिरने के बाद मालिश शुरू करना चाहिए।
छह सप्ताह की जांच के बादचिकित्सकीय रूप से स्वस्थ होने पर तेल मालिश शुरू करें।
भोजन के बाददूध पिलाने के 45 मिनट से एक घंटे बाद मालिश करें।
शिशु के मूड का अध्ययनशिशु के शांत होने पर मालिश करें।
नींद के पैटर्न पर ध्यानसोने से पहले मालिश करने से नींद में सुधार होता है।

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क्या शिशु की मालिश नहाने से पहले या बाद में करनी चाहिए?

शिशु की मालिश का समय नहाने से पहले या बाद में किया जा सकता है, दोनों के अपने-अपने फायदे हैं। आइए इन दोनों विकल्पों को विस्तार से समझें:

नहाने से पहले तेल मालिश के फायदे:

  1. विश्राम: नहाने से पहले मालिश करने से शिशु को आराम और तनावमुक्त होने में मदद मिलती है। कोमल स्ट्रोक से शिशु को एक शांतिपूर्ण झपकी के लिए तैयार किया जा सकता है।
  2. जलयोजन: तेल मालिश से शिशु की त्वचा को नमी मिलती है, जो नहाने के बाद उसकी त्वचा को रूखा होने से बचाती है।
  3. रक्त परिसंचरण में सुधार: नहाने से पहले मालिश करने से शिशु का रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे उसकी संपूर्ण स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती में सुधार होता है।

नहाने के बाद तेल मालिश के फायदे:

  1. त्वचा का पोषण: नहाने के बाद तेल लगाने से शिशु की त्वचा में नमी बरकरार रहती है और उसे पोषण मिलता है।
  2. बेहतर नींद: नहाने और मालिश का संयोजन शिशु को बेहतर नींद के लिए तैयार करता है।
  3. बॉन्डिंग: नहाने के बाद मालिश करना माता-पिता और शिशु के बीच एक विशेष रिश्ता बनाने का समय हो सकता है।

शिशु की मालिश के लिए नहाने से पहले या बाद में कोई भी समय सही हो सकता है, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद और शिशु की जरूरतों पर निर्भर करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मालिश का समय ऐसा हो, जब शिशु और माता-पिता दोनों इसे एंजॉय करें। याद रखें, मालिश के लिए एक सुरक्षित और प्यार भरा माहौल बनाना सबसे ज़रूरी है .

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Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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