
नवजात शिशु (Newborn Baby) जब बार-बार छींकता है, तो नए माता-पिता के मन में यह सवाल उठता है कि कहीं यह किसी बीमारी का लक्षण तो नहीं। लेकिन सच्चाई यह है कि शिशु का छींकना अक्सर सामान्य होता है और यह उनके शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया का हिस्सा होता है। जब शिशु की नाक में म्यूकस, धूल, दूध के कण या कोई हल्की जलन होती है, तो वे छींक के जरिए इससे निजात पाने की कोशिश करते हैं।
क्यों छींकता है नवजात? जानिए इसके मुख्य कारण
नवजात शिशु का छींकना कई कारणों से हो सकता है, जो जरूरी नहीं कि किसी संक्रमण से जुड़ा हो। सबसे आम कारण है उनकी नाक की सफाई। नवजात सिर्फ नाक से सांस लेते हैं, और जब नाक में हल्की भी रुकावट आती है—जैसे म्यूकस या धूल—तो उनका शरीर उसे बाहर निकालने के लिए छींक का सहारा लेता है। मां का दूध पीते समय भी एक नथुना बंद हो जाने पर शिशु उसे खोलने के लिए छींक सकते हैं।
पर्यावरणीय कारण जैसे धूल, धुआं, परफ्यूम या कम आर्द्रता वाली हवा भी शिशु की नाक में जलन पैदा कर सकती है, जिससे बार-बार छींक आने लगती है। सर्दियों में अक्सर कमरे में चल रहे हीटर या एयर कंडीशनर से हवा में नमी कम हो जाती है, जिससे शिशु की नाक सूखने लगती है और उसे छींक आने लगती है।
किन लक्षणों के साथ छींक होना खतरे की घंटी हो सकता है?
यदि केवल छींक आ रही है और शिशु अन्यथा स्वस्थ है—जैसे सामान्य रूप से दूध पी रहा है, सो रहा है और सक्रिय है—तो चिंता की कोई बात नहीं। लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं जो संकेत देते हैं कि शिशु को चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
अगर छींक के साथ-साथ शिशु को लगातार खांसी हो रही है, सांस लेने में तकलीफ हो रही है, दूध पीने में परेशानी हो रही है या बुखार आ रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि शिशु को वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण हुआ है। इसके अलावा, यदि शिशु बहुत सुस्त हो जाए या सामान्य से कम प्रतिक्रिया दे रहा हो, तो भी डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
इलाज क्या है और कैसे करें राहत?
ज्यादातर मामलों में नवजात की छींक का इलाज नहीं बल्कि देखभाल ही काफी होती है। सबसे पहले तो शिशु के आसपास का वातावरण साफ-सुथरा और धूल-मुक्त रखें। घर में धूम्रपान, तेज परफ्यूम या एयर फ्रेशनर का प्रयोग न करें। अगर हवा बहुत सूखी हो, तो कमरे में ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें जिससे नमी बनी रहे और शिशु की नाक सूखी न पड़े।
यदि शिशु की नाक में अधिक म्यूकस है या वह बंद लग रही है, तो डॉक्टर की सलाह से सेलाइन नेजल ड्रॉप्स का उपयोग किया जा सकता है। यह म्यूकस को पतला करता है और नाक की सफाई में मदद करता है। साथ ही, नियमित स्तनपान शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है, जिससे वह छोटे-मोटे संक्रमण से आसानी से लड़ पाता है।
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विशेषज्ञों की राय
नवजात शिशु जब बार-बार छींकता है, तो कई माता-पिता घबरा जाते हैं कि कहीं उसे सर्दी या कोई संक्रमण तो नहीं हो गया। लेकिन बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय कुछ और ही कहती है। उनके अनुसार, नवजात में छींक आना एक सामान्य और स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है, जो उसके शरीर के रक्षात्मक तंत्र का हिस्सा होती है।
नीचे जानिए देश के प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञों की राय कि छींक क्यों आती है, कब चिंता करनी चाहिए, और इलाज कैसे करें।
डॉ. सुमिता शर्मा (वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ, दिल्ली)
“छोटे बच्चों की नासिका नली (Nasal Passage) बहुत संकरी होती है, जिसमें म्यूकस, धूल या दूध के अंश फंस सकते हैं। ऐसे में उनका शरीर उन्हें साफ करने के लिए छींक का सहारा लेता है। यह उनके नासिका मार्ग को स्वच्छ और खुला रखने का स्वाभाविक तरीका है। इसलिए अगर बच्चा केवल छींक रहा है और अन्य कोई लक्षण नहीं हैं, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं।”
डॉ. हरीश पांडे (नियोनेटोलॉजिस्ट, जयपुर)
“मां के दूध के दौरान जब बच्चा एक तरफ से दूध पी रहा होता है, तो उसका एक नथुना बंद हो जाता है। इससे भी उसे छींक आ सकती है ताकि वह नथुना खुल जाए और सांस लेने में आसानी हो। यह एक नॉर्मल रिफ्लेक्स है और सभी नवजातों में यह देखा जाता है।”
डॉ. रितु मिश्रा (बाल रोग विशेषज्ञ, लखनऊ)
“हां, बार-बार छींक आना सामान्य है लेकिन इसके साथ अगर बच्चा सुस्त हो, दूध न पी रहा हो, या सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो यह संक्रमण का लक्षण हो सकता है। खासकर अगर नाक का स्राव हरे या पीले रंग का हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
FAQs
प्रश्न: क्या नवजात का बार-बार छींकना सामान्य है?
उत्तर: हां, नवजात शिशुओं का छींकना आम बात है और यह उनकी नाक को साफ रखने की स्वाभाविक प्रक्रिया है।
प्रश्न: छींक के साथ नाक बहना भी हो तो क्या करें?
उत्तर: अगर नाक बहना पारदर्शी है और शिशु सामान्य है, तो चिंता न करें। लेकिन अगर नाक का स्राव पीला या हरा हो और अन्य लक्षण भी हों, तो डॉक्टर से मिलें।
प्रश्न: क्या छींक आने पर शिशु को दवा देना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, जब तक कोई और गंभीर लक्षण न हों, तब तक छींक का इलाज जरूरी नहीं होता। देखभाल ही काफी है।
प्रश्न: छींक को रोकने के लिए कौन-से घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर: कमरे की सफाई, नमी बनाए रखना, और धूल से दूर रखना जैसे सामान्य उपाय कारगर होते हैं। कोई भी घरेलू नुस्खा डॉक्टर से पूछे बिना न अपनाएं।