
Parenting Tips: जब बच्चे चलते-चलते गिर जाते हैं, किसी दीवार, टेबल या फर्श से टकरा जाते हैं, तो ज़्यादातर पैरेंट्स का पहला रिएक्शन होता है – “कुछ नहीं हुआ, रो मत”, या फिर फर्श-दीवार को मारकर कहते हैं “इसकी गलती है”. ऐसे रिएक्शन पैरेंट्स प्यार से करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे बच्चे की सोच और इमोशंस पर गलत असर पड़ सकता है?
डॉ. सुमित्रा मीना जो कि एक जानी-मानी पीडियाट्रिशियन हैं, उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के ज़रिए बताया कि ऐसा व्यवहार बच्चों के मानसिक विकास के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप भी समझना चाहते हैं कि बच्चे के गिरने पर सही रिएक्शन क्या होना चाहिए, तो यह आर्टिकल आपके लिए है जिसमे हम आपको यह बताएँगे कि Agar apka bacha gir jaye to kya kare .
बच्चा गिर जाए तो क्या करें? जानिए डॉक्टर की राय
1. बच्चे को गिरने पर “कुछ नहीं हुआ” कहना क्यों गलत है?
जब बच्चा गिरता है और रोता है, (what to do if baby falls) तो माता-पिता अक्सर कहते हैं – “अरे कुछ नहीं हुआ, उठो-उठो”। लेकिन डॉक्टर का कहना है कि इससे बच्चे को यह लगता है कि उसके इमोशंस की कोई वैल्यू नहीं है। वह रो रहा है, दर्द में है, लेकिन उसके पैरेंट्स कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ।
इससे बच्चे को लग सकता है कि उसकी फीलिंग्स को समझा नहीं जा रहा, और वह धीरे-धीरे अपने इमोशंस को दबाना सीख सकता है। इसका असर उसके आत्मविश्वास और इमोशनल एक्सप्रेशन पर पड़ सकता है।
2. दीवार, फर्श को मारना – क्या यह सही है?
अगर बच्चा दीवार से टकरा जाए और आप कहें कि “दीवार की गलती थी, चलो दीवार को मारते हैं”, तो आप असल में उसे सिखा रहे हैं कि जब भी कुछ गलत हो, तो दूसरों को दोष देना है। इससे बच्चा अपनी गलती मानने के बजाय हमेशा दूसरों पर ब्लेम करना सीख सकता है।
डॉ. सुमित्रा का कहना है कि इस तरह का बिहेवियर बच्चे को ज़िम्मेदार नहीं बनाता बल्कि उसे Accountability से दूर ले जाता है।
3. बच्चों के शरीर को लेकर क्या कहें और क्या नहीं?
अगर बच्चा कोई नई ड्रेस पहनकर आया है और उसमें थोड़ा मोटा दिख रहा है, तो कुछ पैरेंट्स मस्ती में कह देते हैं – “ओह, कितने चबी लग रहे हो!” लेकिन डॉक्टर कहती हैं कि ये बात बच्चों को अंदर से हर्ट कर सकती है। ये Body Shaming कहलाती है और इससे बच्चों में हीन भावना आ सकती है।
बच्चों को उनके शरीर के बारे में पॉजिटिव सोच सिखाना बहुत ज़रूरी है। Body Positivity का मतलब है कि बच्चा जैसा भी है, वह अच्छा है और उसे खुद को अपनाना चाहिए।
4. पैरेंट्स क्या करें जब बच्चा गिर जाए?
- सबसे पहले बच्चे को प्यार से उठाएं और कहें – “मैं जानता हूं तुम्हें चोट लगी है, चलो बैठते हैं।”
- उसकी फीलिंग्स को समझें और उसे रोने दें अगर वह रोना चाहता है।
- चोट को धीरे से देखें और कहें – “तुम बहादुर हो, लेकिन चोट लगने पर दर्द होता है।”
- किसी चीज़ को दोष देने के बजाय, बच्चे को समझाएं कि अगली बार थोड़ा ध्यान रखना होगा।
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निष्कर्ष (Conclusion):
छोटे बच्चों के गिरने या चोट लगने पर पैरेंट्स का रिएक्शन बहुत मायने रखता है। प्यार और सहानुभूति ज़रूरी है, लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि हम बच्चों को इमोशनल एक्सप्रेशन, ज़िम्मेदारी और सेल्फ-एक्सेप्टेंस सिखाएं। डॉक्टर सुमित्रा मीना की सलाह यही है कि बच्चों की भावनाओं को दबाने के बजाय, उन्हें समझने की कोशिश करें।
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