Parenting Tips: स्कूल में क्यों आपके बच्चे का परफॉरमेंस बार-बार हो रहा खराब? जानें चौंकाने वाले कारण

Parenting Tips: अगर आपका बच्चा पढ़ाई में मन नहीं लगा पा रहा है और स्कूल में कमजोर परफॉर्म कर रहा है, तो इसकी वजह मेंटल हेल्थ, मोटिवेशन की कमी या इमोशनल समस्याएं हो सकती हैं। इस आसान भाषा में लिखे लेख में जानिए इससे जुड़े कारण और समाधान।

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By Nutan Bhatt

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Parenting Tips: अक्सर माता-पिता इस चिंता में रहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म क्यों नहीं कर पा रहा है। बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगना, स्कूल परफॉर्मेंस खराब होना, या फिर बच्चों का ध्यान भटकना – ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनका सामना लगभग हर पैरेंट ने कभी न कभी किया है। चाहे आपने अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा स्कूल चुना हो या पढ़ाई के लिए हर सुविधा दी हो, फिर भी अगर बच्चा स्कूल में अच्छा परफॉर्म नहीं करता है, तो ये जानना जरूरी है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस लेख में हम उन्हीं कारणों और उनके हल के बारे में बात करेंगे।

1. मानसिक समस्याएं (Mental Health Issues)

कभी-कभी बच्चा इसलिए पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाता क्योंकि वह अंदर से मानसिक रूप से परेशान होता है। डिप्रेशन, एंजाइटी, या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मेंटल हेल्थ समस्याएं बच्चों के मूड और सीखने की क्षमता पर असर डालती हैं। ऐसे में वे किसी चीज़ पर ध्यान नहीं लगा पाते और पढ़ाई से दूर भागने लगते हैं। अगर बच्चा अक्सर उदास रहता है, अकेला रहना पसंद करता है, या बात नहीं करता, तो ये संकेत हो सकते हैं कि वह किसी मानसिक परेशानी से जूझ रहा है।

2. एडीएचडी और सीखने में दिक्कत (Learning Difficulties)

अगर बच्चे को बार-बार समझाने के बाद भी बात समझ नहीं आती, वह एक जगह ध्यान नहीं लगा पाता, या हर काम अधूरा छोड़ देता है, तो यह एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) का संकेत हो सकता है। ऐसे बच्चे बहुत जल्दी चिढ़ जाते हैं और खुद को कमजोर महसूस करते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज किया जाए, तो इसमें सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए किसी अच्छे काउंसलर या चाइल्ड थेरेपिस्ट से संपर्क किया जा सकता है।

3. मोटिवेशन की कमी (Lack of Motivation)

बच्चों का पढ़ाई से मन तब हटता है जब उन्हें इसमें कोई लक्ष्य या मतलब नजर नहीं आता। अगर उन्हें लगता है कि वे कुछ अच्छा नहीं कर सकते, या टीचर और दोस्तों से जुड़ाव नहीं है, तो वे कोशिश ही नहीं करते। यहां पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के साथ खुलकर बात करें, उन्हें पढ़ाई का मकसद समझाएं और उनके लिए एक छोटा मोटिवेशन तैयार करें।

4. सोशल और इमोशनल प्रॉब्लम्स (Social & Emotional Issues)

बुलिंग, झगड़े, दोस्तों से दूरी, या घर की कोई समस्या – ये सभी बच्चों के मन पर गहरा असर डालती हैं। अगर बच्चा स्कूल में परेशान किया जा रहा है, या घर में माता-पिता के झगड़े देख रहा है, तो उसका मन पढ़ाई में नहीं लग सकता। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे की भावनाओं को समझें और उसे भावनात्मक सपोर्ट दें।

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क्या करें?

  • बच्चे से रोज़ बात करें और उसका दिन कैसा रहा, ये पूछें।
  • उसकी बात बिना टोक-टोका सुने ध्यान से सुनें।
  • अगर ज़रूरत हो तो उसे काउंसलिंग या थेरेपी के लिए ले जाएं।
  • पढ़ाई के अलावा उसकी रुचियों को भी महत्व दें।
  • स्कूल और टीचर्स से बातचीत करते रहें।

निष्कर्ष

हर बच्चा अलग होता है और हर किसी की सीखने की क्षमता भी अलग होती है। अगर आपका बच्चा स्कूल में अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा है, तो उसे डांटने या दबाव देने की बजाय समझने की जरूरत है। जब आप उसकी मानसिक स्थिति, भावनाओं और चुनौतियों को समझेंगे, तभी आप उसकी सही मदद कर पाएंगे। धैर्य और प्यार से हर मुश्किल आसान की जा सकती है।

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Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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