
बच्चे छोटे होते हैं तो उनका हर चीज़ को एक्सप्लोर करने का समय होता है। 9 से 12 महीने की उम्र में बच्चे चलना सीखते हैं, इसलिए उनका बैलेंस सही नहीं बन पाता और वे कई बार गिर जाते हैं। खेलते-खेलते भी बच्चे अक्सर गिरते रहते हैं, जिससे माता-पिता बहुत चिंतित हो जाते हैं।
बच्चों के गिरने से चोट लग सकती है, लेकिन कई बार मामूली चोट को लेकर पेरेंट्स बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं। इसलिए, जरूरी है कि अगर बच्चा गिर जाए, तो सही कदम उठाएं और कुछ अहम संकेतों पर ध्यान दें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अगर बच्चा गिर जाए तो क्या करना चाहिए (Bacha gir jaye to kya karna chahiye), किन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और कब डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।
बच्चा गिर जाए तो क्या करें?
अगर बच्चा गिर जाए और हल्की चोट लगे, तो घबराने की जरूरत नहीं है। यहां कुछ जरूरी कदम दिए गए हैं, जो आपको तुरंत उठाने चाहिए:
1. सबसे पहले बच्चे को चेक करें
✔️ बच्चे को गोद में उठाएं और प्यार से शांत करने की कोशिश करें।
✔️ ध्यान दें कि बच्चे को सिर, हाथ, पैर या शरीर के किसी अन्य हिस्से में चोट लगी है या नहीं।
✔️ अगर चोट के निशान नहीं दिख रहे, फिर भी उसके व्यवहार को कुछ समय तक ध्यान से देखें।
2. सूजन या चोट पर ठंडी सिकाई करें
✔️ अगर बच्चे के सिर, घुटने या किसी और हिस्से में सूजन हो जाए, तो वहां बर्फ की ठंडी सिकाई करें।
✔️ बर्फ को सीधे त्वचा पर न लगाएं, बल्कि एक साफ कपड़े में लपेटकर हल्के हाथों से सिकाई करें।
✔️ आमतौर पर 6 से 24 घंटे में सूजन कम हो जाती है।
3. बच्चे के व्यवहार पर नजर रखें
गिरने के बाद बच्चा डर सकता है, लेकिन कुछ लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:
✔️ अगर बच्चा सामान्य रूप से खेल रहा है, हंस रहा है और एक्टिव है, तो चिंता की कोई बात नहीं।
✔️ अगर बच्चा बार-बार रो रहा है, बहुत सुस्त लग रहा है या ज्यादा सो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
✔️ कुछ बच्चे गिरने के बाद घबराहट में अधिक रोते हैं, लेकिन अगर वे कुछ देर बाद शांत हो जाएं और सामान्य लगें, तो घबराने की जरूरत नहीं है।
गंभीर चोट के संकेत – कब डॉक्टर के पास जाएं?
डॉक्टर अर्पित गुप्ता के अनुसार, अगर बच्चा गिरने के बाद इन लक्षणों को दिखाता है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए:
1. ज्यादा उल्टी आना
अगर बच्चा गिरने के बाद बार-बार उल्टी कर रहा है, तो यह सिर में चोट का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।
2. बेहोश हो जाना या बेसुध महसूस करना
✔️ अगर गिरने के तुरंत बाद बच्चा कुछ सेकंड के लिए भी बेहोश हो जाए, तो इसे हल्के में न लें।
✔️ अगर बच्चा अजीब व्यवहार कर रहा है, जैसे – बहुत ज्यादा सुस्ती या बार-बार सोने की इच्छा, तो यह सिर की चोट का संकेत हो सकता है।
3. शरीर में अकड़न या झटके आना (Seizures)
✔️ अगर गिरने के बाद बच्चे को दौरे (झटके) पड़ने लगें, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें।
✔️ अगर बच्चा अपने हाथ-पैरों को बहुत ज्यादा टाइट कर लेता है या उसे हिलाने में दिक्कत होती है, तो यह भी गंभीर चोट का संकेत हो सकता है।
4. बहुत ज्यादा रोना और चलने में परेशानी
✔️ अगर बच्चा गिरने के बाद अचानक बहुत चिड़चिड़ा हो जाए और ज्यादा रोने लगे, तो यह चोट का संकेत हो सकता है।
✔️ अगर बच्चा ठीक से चल नहीं पा रहा या लड़खड़ा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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बच्चों को मामूली चोट लगने पर क्या करें?
अगर बच्चे को हल्की चोट लगी है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। मामूली चोट में ये उपाय अपनाएं:
✔️ बच्चे को प्यार से समझाएं और उसे आराम दें।
✔️ चोट वाली जगह पर हल्का एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं।
✔️ अगर चोट ज्यादा गहरी नहीं है, तो हल्का गर्म पानी से साफ करें और पट्टी बांध दें।
✔️ बच्चे को खेलने के लिए नई एक्टिविटीज में व्यस्त करें, ताकि वह दर्द भूल जाए।
✔️ कुछ देर गोद में रखें, ताकि उसे सुरक्षित महसूस हो।
बच्चों को गिरने से बचाने के लिए कुछ जरूरी टिप्स
✅ घर में फर्श पर गद्दे या कारपेट बिछाएं, ताकि गिरने पर चोट कम लगे।
✅ तेज़ कोनों और टेबल-चेयर पर सिलिकॉन कवर लगाएं, जिससे चोट लगने का खतरा कम होगा।
✅ बच्चे को जूते या मोजे पहनाकर चलाएं, इससे उसका बैलेंस बेहतर बनेगा।
✅ बच्चे को अकेला न छोड़ें, खासकर जब वह वॉकर में हो या बेड पर खेल रहा हो।
✅ खेलते समय बच्चे के आसपास रहें और किसी ऊंचाई से गिरने से बचाएं।
निष्कर्ष (Conclusion)
बच्चे का गिरना आम बात है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि कब चिंता करनी चाहिए और कब नहीं। अगर बच्चा गिरने के बाद सामान्य व्यवहार कर रहा है, तो डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर बच्चा बार-बार उल्टी कर रहा है, बेहोश हो गया है, झटके आ रहे हैं या चलने में दिक्कत हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों को गिरने से बचाने के लिए घर को सुरक्षित बनाना, बच्चे के आसपास ध्यान रखना और सही फीडिंग एवं खेलने की जगह तैयार करना जरूरी है। सही देखभाल और सतर्कता से बच्चे को चोट लगने से बचाया जा सकता है।