बच्चों को डायपर पहनाने से क्या नुकसान होता है? यहाँ जाने एक्सपर्ट्स और WHO की राय

बच्चों को डायपर पहनाना सुविधाजनक है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सही उपयोग और त्वचा की देखभाल से इन समस्याओं से बचा जा सकता है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पुनः उपयोग योग्य विकल्पों पर विचार करें।

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By Nutan Bhatt

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bacho ko diaper pehnane ke kya nuksaan hai

बच्चों को डायपर पहनाने से क्या नुकसान होता है: डायपर का उपयोग आज के समय में शिशुओं की देखभाल का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। यह न केवल माता-पिता के लिए समय की बचत करता है, बल्कि बच्चों को साफ और आरामदायक भी रखता है। हालांकि, बच्चों को लंबे समय तक डायपर पहनाना उनकी त्वचा और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। शिशुओं की कोमल त्वचा बेहद संवेदनशील होती है और डायपर के लगातार उपयोग से रैशेज, जलन और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, गंदे डायपर में लंबे समय तक बच्चे को रखने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

डायपर का सही तरीके से उपयोग न केवल इन समस्याओं से बचने में मदद करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि शिशु की त्वचा स्वस्थ और सुरक्षित बनी रहे। डायपर बदलने के सही समय (bacho ko diaper pehnane ke nuksaan) , सही साइज का चयन और बच्चों की त्वचा की नियमित देखभाल इन समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है। माता-पिता को यह भी समझने की जरूरत है कि प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का चयन न केवल बच्चों के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा करता है।

विषयजानकारी
डायपर के फायदेशिशु को गंदगी से बचाना, माता-पिता के लिए समय की बचत।
संभावित नुकसानरैशेज, संक्रमण, त्वचा की समस्याएं, पर्यावरणीय प्रभाव।
समाधानसही डायपर का चयन, नियमित बदलना, त्वचा की देखभाल।
अनुशंसाडायपर का उपयोग सीमित करें और प्राकृतिक विकल्पों पर विचार करें।

बच्चों को डायपर पहनाने के संभावित नुकसान

1. डायपर रैश (Diaper Rash)

डायपर पहनने से बच्चों की कोमल (disadvantages of using diapers for babies) त्वचा पर लाल धब्बे और खुजली हो सकती है।

  • कारण: गंदा डायपर लंबे समय तक पहनाना, सही साइज का उपयोग न करना।
  • समाधान: डायपर को हर 3-4 घंटे में बदलें और रैश क्रीम का उपयोग करें।

2. त्वचा का संक्रमण (Skin Infection)

डायपर में लंबे समय तक गीलापन और गर्मी के कारण बैक्टीरिया और फंगस पनप सकते हैं।

  • लक्षण: त्वचा पर लालिमा, सूजन और छोटे-छोटे फफोले।
  • समाधान: डायपर के नीचे हल्का और शोषक कपड़ा लगाएं।

3. पाचन क्रिया पर प्रभाव

कई बार डायपर का सख्त इलास्टिक पेट पर दबाव डाल सकता है, जिससे शिशु को असुविधा हो सकती है।

4. पर्यावरणीय प्रभाव

डिस्पोजेबल डायपर प्लास्टिक और केमिकल से बने होते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

  • समाधान: कपड़े के डायपर का उपयोग करें, जो धुलने योग्य और पुनः उपयोगी होते हैं।

डायपर के उपयोग में सावधानियां

1. सही डायपर का चयन

बाजार में विभिन्न प्रकार के डायपर उपलब्ध हैं। सही डायपर चुनने के लिए:

  • बच्चे के वजन और आयु के अनुसार साइज चुनें।
  • हाइपोएलर्जेनिक डायपर का उपयोग करें।

2. डायपर बदलने का सही समय

डायपर को लंबे समय तक न पहनने दें।

  • हर 3-4 घंटे में डायपर बदलें।
  • रात में बच्चे की स्थिति के अनुसार डायपर बदलें।

3. त्वचा की देखभाल

डायपर बदलने के बाद शिशु की त्वचा को साफ और सूखा रखें।

  • गीले वाइप्स या गुनगुने पानी से साफ करें।
  • त्वचा पर मॉइस्चराइजर या रैश क्रीम लगाएं।

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डायपर के पर्यावरणीय प्रभाव

डिस्पोजेबल डायपर का उपयोग पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बन सकता है।

  • एक डायपर को नष्ट होने में 500 से अधिक वर्ष लगते हैं।
  • प्लास्टिक और केमिकल की वजह से यह पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है।

समाधान:

  • पुनः उपयोग योग्य कपड़े के डायपर का चयन करें।
  • बायोडिग्रेडेबल डायपर का उपयोग करें।

विशेषज्ञ की राय

डॉ. हिमांशु वर्मा, एक प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ, का कहना है कि “डायपर का लगातार उपयोग बच्चों की त्वचा की नमी को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। माता-पिता को हर 3-4 घंटे में डायपर बदलने की आदत डालनी चाहिए और रात के समय डायपर का उपयोग कम से कम करना चाहिए।”

उन्होंने यह भी बताया कि शिशु की त्वचा को खुली हवा में सांस लेने का मौका देना जरूरी है। इससे त्वचा को आराम मिलता है और रैशेज की संभावना कम हो जाती है।

WHO की राय

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, शिशुओं को डायपर (bacho ko diaper pehnane ke side effects) पहनाने में सावधानी बरतनी चाहिए। WHO का मानना है कि “डायपर के लंबे समय तक उपयोग से बच्चों में त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।” WHO यह सुझाव देता है कि:

  1. डायपर का सही आकार और सामग्री चुनें: हाइपोएलर्जेनिक और सांस लेने योग्य डायपर चुनें।
  2. नियमित बदलाव: हर 3-4 घंटे में डायपर बदलें, खासकर जब गीला या गंदा हो।
  3. सफाई और मॉइस्चराइजिंग: डायपर बदलने के बाद शिशु की त्वचा को गुनगुने पानी से साफ करें और मॉइस्चराइजर लगाएं।
  4. प्राकृतिक विकल्प: पुन: उपयोग योग्य कपड़े के डायपर पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प हैं।

इन विशेषज्ञ सुझावों और WHO के दिशानिर्देशों का पालन करके माता-पिता अपने शिशु को डायपर से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं और उनकी त्वचा की देखभाल सुनिश्चित कर सकते हैं।

सामान्य प्रश्न (FAQs)

1. क्या हर समय डायपर पहनाना सही है?

नहीं, बच्चे की त्वचा को सांस लेने के लिए कुछ समय के लिए डायपर हटाना चाहिए।

2. रैशेज होने पर क्या करें?

रैशेज होने पर डायपर का उपयोग बंद कर दें और डॉक्टर की सलाह लें। हल्के और सुरक्षित मॉइस्चराइजर का उपयोग करें।

3. कपड़े के डायपर और डिस्पोजेबल डायपर में क्या अंतर है?

कपड़े के डायपर पुनः उपयोगी होते हैं और पर्यावरण के लिए बेहतर हैं। डिस्पोजेबल डायपर उपयोग में आसान लेकिन पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

निष्कर्ष

डायपर शिशुओं की देखभाल में एक बड़ी सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन इनका सही उपयोग और सावधानी जरूरी है। सही डायपर का चयन, नियमित बदलाव और शिशु की त्वचा की देखभाल करके इनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कपड़े के डायपर का उपयोग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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