जिद्दी बच्चों को ऐसे करें डील: बच्चों की परवरिश का सबसे मुश्किल पहलू तब आता है, जब वे जिद्दी हो जाते हैं और आपकी बातों को नज़रअंदाज़ करने लगते हैं। यह स्थिति हर माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों को सही निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना इतना भी मुश्किल नहीं है? उन्हें आदेश देने के बजाय विकल्प देना, इस समस्या का एक सरल और प्रभावी समाधान हो सकता है।
रिया और आशी की कहानी
रिया की बेटी आशी की कहानी ऐसी ही है। एक रात, जब आशी को सोने का समय हो गया था, वह लगातार खेल में व्यस्त थी और सोने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। रिया ने कई बार उसे सुलाने की कोशिश की, लेकिन हर बार आशी उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर देती थी।
बच्चों की यह आदत आम है। जब उन्हें किसी चीज़ के लिए बाध्य किया जाता है, तो वे अक्सर उल्टा व्यवहार करते हैं। लेकिन इस बार, रिया ने एक अलग तरीका अपनाया। उसने आशी को आदेश देने के बजाय, उसे दो विकल्प दिए:
- “क्या तुम सोने से पहले परियों की कहानी सुनना चाहोगी, या पंचतंत्र की?”
यह सुनकर आशी ने तुरंत जवाब दिया, “मुझे परियों की कहानी सुननी है!” रिया के इस छोटे से बदलाव ने न केवल आशी के सोने की आदत को सुधार दिया, बल्कि उसे अपनी पसंद से निर्णय लेने का भी मौका दिया।
जिद्दी बच्चों को सही दिशा में मोड़ने का सरल तरीका
1. बच्चों को निर्णय लेने का आत्मविश्वास मिलता है
जब बच्चों को किसी निर्णय में शामिल किया जाता है, तो वे अधिक आत्मनिर्भर महसूस करते हैं। (How to deal with child who does not listen)उन्हें यह लगता है कि उनकी पसंद का सम्मान किया जा रहा है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
2. जिद्दी स्वभाव में सुधार होता है
आदेश देने से बच्चे अक्सर नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। लेकिन जब उन्हें विकल्प दिए जाते हैं, तो उनकी जिद शांत हो जाती है, क्योंकि अब वे अपनी मर्जी से चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं।
3. माता-पिता के लिए पेरेंटिंग आसान बनती है
यह तरीका पेरेंटिंग को तनावमुक्त और सहज बनाता है। (Ziddi Bacho Ko Kaise Control Kare) बच्चे खुद ही अपनी दिशा तय करते हैं, जिससे माता-पिता को बार-बार हस्तक्षेप करने की ज़रूरत नहीं होती।
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कैसे दें सही विकल्प?
1. विकल्प छोटे और स्पष्ट हों
बच्चों को बहुत अधिक विकल्प देने से वे भ्रमित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए,
- “क्या तुम पहले होमवर्क करना चाहोगे या पहले स्नैक खाना?”
2. सकारात्मक भाषा का उपयोग करें
आदेश देने के बजाय उन्हें प्रेरित करें। जैसे:
- “अगर तुम जल्दी सो जाओगे, तो तुम्हें सुबह खेलने का ज्यादा समय मिलेगा।”
3. परिणाम से जोड़ें
बच्चों को दिखाएं कि उनके निर्णय का उनके लिए क्या फायदा होगा।
- “अगर तुम अभी अपना कमरा साफ करोगे, तो हम साथ में मूवी देख सकते हैं।”
इस तरीके का बच्चों के विकास पर प्रभाव
1. मानसिक विकास में सुधार
यह तरीका बच्चों को सोचने और तर्क करने की क्षमता देता है। वे यह समझने लगते हैं कि उनके फैसले के परिणाम क्या होंगे।
2. जिम्मेदारी सिखाता है
जब बच्चे अपने निर्णय खुद लेते हैं, तो वे उनके परिणामों के प्रति जिम्मेदार बनते हैं।
3. आत्मनिर्भरता बढ़ाता है
बच्चे छोटे निर्णय लेने से शुरुआत करते हैं और आगे चलकर बड़े निर्णय लेने के लिए तैयार होते हैं।
प्रैक्टिकल उदाहरण
- खेलने का समय: “क्या तुम 10 मिनट और खेलना चाहोगे या अभी सोने के लिए तैयार हो जाओगे?”
- खाने का समय: “तुम्हें दाल-चावल खाना पसंद है या रोटी-सब्जी?”
- पढ़ाई का समय: “क्या तुम गणित की किताब पहले पढ़ोगे या विज्ञान की?”
विशेषज्ञों की राय
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चों को निर्णय लेने का मौका देना उनके मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बेहद जरूरी है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि जब बच्चों को विकल्प दिए जाते हैं, तो उनकी समस्या-समाधान क्षमता में 25% सुधार होता है।
बच्चों की जिद को सकारात्मक दिशा में मोड़ें
जिद्दी बच्चों (jiddi bacho se ese kare deal) के साथ यह तरीका हर बार काम आएगा, यह जरूरी नहीं है। लेकिन धैर्य और लगातार प्रयास से यह उनके व्यवहार में बड़ा बदलाव ला सकता है।
- उन्हें आदेश देने के बजाय विकल्प दें।
- उनके निर्णयों की सराहना करें।
- छोटे-छोटे इनाम देकर उन्हें प्रोत्साहित करें।
बच्चों को विकल्प देना पेरेंटिंग का एक बेहतरीन तरीका है। यह उन्हें आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बनाता है। साथ ही, यह माता-पिता के लिए तनावमुक्त पेरेंटिंग का रास्ता खोलता है। अगली बार जब आपका बच्चा जिद करे, तो उसे दो विकल्प दें और देखें कि कैसे वह खुद ही सही दिशा चुनता है।