Parenting Tips: बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए 90s के दौर की ये पेरेंटिंग टिप्स हैं काफी असरदार

बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए 90 के दशक की पेरेंटिंग टिप्स आज भी बेहद प्रासंगिक हैं। संयुक्त परिवार में रहना, घर का बना खाना, शारीरिक खेलों में भागीदारी, और पारिवारिक समय बिताना बच्चों में संस्कार, अनुशासन और आत्मनिर्भरता विकसित करता है।

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By Nutan Bhatt

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parenting tips for babies
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Parenting Tips: बदलते समय के साथ पेरेंटिंग के तरीके भी बदलते गए हैं। आज की तकनीकी और तेज़-तर्रार दुनिया में, बच्चों की परवरिश के लिए नए दृष्टिकोण अपनाए जा रहे हैं। फिर भी, 90 के दशक की पेरेंटिंग से कई ऐसी सीखें हैं जो आज भी प्रासंगिक और लाभदायक हैं। इस लेख में, हम 90 के दशक की पेरेंटिंग से जुड़े महत्वपूर्ण टिप्स पर चर्चा करेंगे, जो आज के माता-पिता के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

बिंदुविवरण
पारिवारिक समयपरिवार के साथ समय बिताना बच्चों में भावनात्मक सुरक्षा और एकता की भावना विकसित करता है।
घर का बना खानाघर का खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है और बच्चों में भोजन के प्रति सम्मान बढ़ाता है।
शारीरिक खेलआउटडोर खेल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होते हैं।
संयुक्त परिवार का अनुभवबुजुर्गों के साथ समय बिताने से बच्चों में जीवन के मूल्यों और रिश्तों का सम्मान बढ़ता है।
पैसों का मूल्य सिखानासीमित संसाधनों में खर्च की समझ बच्चों को आर्थिक रूप से जिम्मेदार बनाती है।
संस्कार और अनुशासनबड़ों का आदर और अनुशासन का पालन बच्चों में जिम्मेदारी की भावना विकसित करता है।
धैर्य और सहनशीलताछोटी परेशानियों पर शिकायत न करना बच्चों को सहनशील और समझदार बनाता है।
प्रकृति से जुड़ावबाहर समय बिताने से बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
खेल और स्वस्थ प्रतिस्पर्धाखेल में हार-जीत का अनुभव बच्चों को जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाता है।
कहानी-सुनने की आदतदादी-नानी की कहानियों से नैतिक शिक्षा और सुनने की क्षमता विकसित होती है।
सादगी और आत्मनिर्भरतासादगी से रहना और छोटे काम खुद करना बच्चों को आत्मनिर्भर बनाता है।

बच्चों को सिखाएं यें सभी चीजें

1. पारिवारिक समय का महत्व

90 के दशक में, परिवार के सदस्य एक साथ भोजन करते थे, खेलते थे और बातचीत करते थे। यह बच्चों में भावनात्मक सुरक्षा और एकता की भावना विकसित करता था। आज के व्यस्त जीवन में, परिवार के साथ समय बिताना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।

2. घर का बना खाना

घर का बना खाना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, बल्कि यह बच्चों में भोजन के प्रति सम्मान और समझ भी बढ़ाता है। बच्चों को घर के बने भोजन की आदत डालने से वे स्वस्थ और संतुलित आहार की महत्ता समझते हैं।

3. शारीरिक खेलों का प्रोत्साहन

90 के दशक में, बच्चे अधिकतर समय बाहर खेलते थे, जैसे कबड्डी, गिल्ली-डंडा आदि। ये खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करते थे, बल्कि टीमवर्क और सामाजिक कौशल भी विकसित करते थे। आज के डिजिटल युग में, बच्चों को शारीरिक खेलों के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

4. संयुक्त परिवार का अनुभव

बुजुर्गों के साथ समय बिताने से बच्चों में जीवन के मूल्यों, संस्कारों और रिश्तों का सम्मान बढ़ता है। दादी-नानी की कहानियों से नैतिक शिक्षा मिलती है, जो उनके व्यक्तित्व विकास में सहायक होती है।

5. पैसों का मूल्य सिखाना

सीमित संसाधनों में खर्च की समझ बच्चों को आर्थिक रूप से जिम्मेदार बनाती है। बचपन से ही पैसों की महत्ता और सही उपयोग की शिक्षा देने से वे भविष्य में वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

6. संस्कार और अनुशासन

बड़ों का आदर, अनुशासन का पालन और सामाजिक नियमों की समझ बच्चों में जिम्मेदारी और नैतिकता की भावना विकसित करती है। यह उन्हें समाज में सम्मानित और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करती है।

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7. धैर्य और सहनशीलता

छोटी-छोटी परेशानियों पर शिकायत न करना और धैर्य रखना बच्चों को सहनशील और समझदार बनाता है। यह गुण उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।

8. प्रकृति से जुड़ाव

बाहर समय बिताने से बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम, पर्यावरण की समझ और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। प्रकृति के साथ जुड़ाव उन्हें तनावमुक्त और खुशहाल बनाता है।

9. खेल और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा

खेल में हार-जीत का अनुभव बच्चों को जीवन की चुनौतियों का सामना करना, टीमवर्क और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना सिखाता है। यह उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल को भी बढ़ाता है।

10. कहानी-सुनने की आदत

दादी-नानी की कहानियों से नैतिक शिक्षा, कल्पनाशीलता और सुनने की क्षमता विकसित होती है। यह बच्चों के भाषा कौशल और सांस्कृतिक समझ को भी बढ़ाता है।

11. सादगी और आत्मनिर्भरता

सादगी से रहना और छोटे-छोटे काम खुद करना बच्चों को आत्मनिर्भर, जिम्मेदार और व्यावहारिक बनाता है। यह गुण उन्हें जीवन में आत्मविश्वास और स्वावलंबन की भावना से भरता है।

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Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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