Parenting Tips: बदलते समय के साथ पेरेंटिंग के तरीके भी बदलते गए हैं। आज की तकनीकी और तेज़-तर्रार दुनिया में, बच्चों की परवरिश के लिए नए दृष्टिकोण अपनाए जा रहे हैं। फिर भी, 90 के दशक की पेरेंटिंग से कई ऐसी सीखें हैं जो आज भी प्रासंगिक और लाभदायक हैं। इस लेख में, हम 90 के दशक की पेरेंटिंग से जुड़े महत्वपूर्ण टिप्स पर चर्चा करेंगे, जो आज के माता-पिता के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
बिंदु | विवरण |
---|---|
पारिवारिक समय | परिवार के साथ समय बिताना बच्चों में भावनात्मक सुरक्षा और एकता की भावना विकसित करता है। |
घर का बना खाना | घर का खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है और बच्चों में भोजन के प्रति सम्मान बढ़ाता है। |
शारीरिक खेल | आउटडोर खेल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होते हैं। |
संयुक्त परिवार का अनुभव | बुजुर्गों के साथ समय बिताने से बच्चों में जीवन के मूल्यों और रिश्तों का सम्मान बढ़ता है। |
पैसों का मूल्य सिखाना | सीमित संसाधनों में खर्च की समझ बच्चों को आर्थिक रूप से जिम्मेदार बनाती है। |
संस्कार और अनुशासन | बड़ों का आदर और अनुशासन का पालन बच्चों में जिम्मेदारी की भावना विकसित करता है। |
धैर्य और सहनशीलता | छोटी परेशानियों पर शिकायत न करना बच्चों को सहनशील और समझदार बनाता है। |
प्रकृति से जुड़ाव | बाहर समय बिताने से बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। |
खेल और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा | खेल में हार-जीत का अनुभव बच्चों को जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाता है। |
कहानी-सुनने की आदत | दादी-नानी की कहानियों से नैतिक शिक्षा और सुनने की क्षमता विकसित होती है। |
सादगी और आत्मनिर्भरता | सादगी से रहना और छोटे काम खुद करना बच्चों को आत्मनिर्भर बनाता है। |
बच्चों को सिखाएं यें सभी चीजें
1. पारिवारिक समय का महत्व
90 के दशक में, परिवार के सदस्य एक साथ भोजन करते थे, खेलते थे और बातचीत करते थे। यह बच्चों में भावनात्मक सुरक्षा और एकता की भावना विकसित करता था। आज के व्यस्त जीवन में, परिवार के साथ समय बिताना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।
2. घर का बना खाना
घर का बना खाना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, बल्कि यह बच्चों में भोजन के प्रति सम्मान और समझ भी बढ़ाता है। बच्चों को घर के बने भोजन की आदत डालने से वे स्वस्थ और संतुलित आहार की महत्ता समझते हैं।
3. शारीरिक खेलों का प्रोत्साहन
90 के दशक में, बच्चे अधिकतर समय बाहर खेलते थे, जैसे कबड्डी, गिल्ली-डंडा आदि। ये खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करते थे, बल्कि टीमवर्क और सामाजिक कौशल भी विकसित करते थे। आज के डिजिटल युग में, बच्चों को शारीरिक खेलों के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
4. संयुक्त परिवार का अनुभव
बुजुर्गों के साथ समय बिताने से बच्चों में जीवन के मूल्यों, संस्कारों और रिश्तों का सम्मान बढ़ता है। दादी-नानी की कहानियों से नैतिक शिक्षा मिलती है, जो उनके व्यक्तित्व विकास में सहायक होती है।
5. पैसों का मूल्य सिखाना
सीमित संसाधनों में खर्च की समझ बच्चों को आर्थिक रूप से जिम्मेदार बनाती है। बचपन से ही पैसों की महत्ता और सही उपयोग की शिक्षा देने से वे भविष्य में वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
6. संस्कार और अनुशासन
बड़ों का आदर, अनुशासन का पालन और सामाजिक नियमों की समझ बच्चों में जिम्मेदारी और नैतिकता की भावना विकसित करती है। यह उन्हें समाज में सम्मानित और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करती है।
न्यू मॉम्स जाने नवजात शिशु की मालिश कैसे करें? इन सभी तेल की मालिश से होगा आपका बच्चा तंदुरुस्त
Baby Food: 0 से 5 साल के बच्चे को न खिलाएं ये चीजें, ग्रोथ पर पडे़गा बहुत ही बुरा असर
7. धैर्य और सहनशीलता
छोटी-छोटी परेशानियों पर शिकायत न करना और धैर्य रखना बच्चों को सहनशील और समझदार बनाता है। यह गुण उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।
8. प्रकृति से जुड़ाव
बाहर समय बिताने से बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम, पर्यावरण की समझ और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। प्रकृति के साथ जुड़ाव उन्हें तनावमुक्त और खुशहाल बनाता है।
9. खेल और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा
खेल में हार-जीत का अनुभव बच्चों को जीवन की चुनौतियों का सामना करना, टीमवर्क और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना सिखाता है। यह उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल को भी बढ़ाता है।
10. कहानी-सुनने की आदत
दादी-नानी की कहानियों से नैतिक शिक्षा, कल्पनाशीलता और सुनने की क्षमता विकसित होती है। यह बच्चों के भाषा कौशल और सांस्कृतिक समझ को भी बढ़ाता है।
11. सादगी और आत्मनिर्भरता
सादगी से रहना और छोटे-छोटे काम खुद करना बच्चों को आत्मनिर्भर, जिम्मेदार और व्यावहारिक बनाता है। यह गुण उन्हें जीवन में आत्मविश्वास और स्वावलंबन की भावना से भरता है।
अगर आपके शिशु को बुखार है तो आप इन घरेलु उपाय की मदद से अपने बच्चे का बुखार कम कर सकते है – बच्चे को बुखार क्यों आता है? 100 डिग्री से ऊपर बुखार हो सकता है खतरनाक, यहाँ जाने बुखार हटाने के घरेलु इलाज
कई बार आपने यह महसूस किया होगा कि आपके नवजात शिशु नींद में हँसते और रोते है इसके पीछे का कारण जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़े- शिशु नींद में अपने आप क्यों हंसते या रोते हैं? सिर्फ सपना नहीं-ये रही वजह