Bacha Angutha Kyo Chusta Hai – क्या आपके बच्चे की भी है अंगूठा चूसने की आदत, ये सरल उपाय तुरंत ही आपके बच्चे का अंगूठा पीना छुड़वा देगी ?

छोटे बच्चे अंगूठा चूसने का कारण अक्सर उनकी प्राथमिकताओं और संतुष्टि की अभिव्यक्ति का एक तरीका होता है। जब बच्चा अधिकतर समय अपनी माँ के साथ होता है, तो वह अपने अंगूठे को चूसने के माध्यम से आनंद और सुरक्षा महसूस करता है।

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By Nutan Bhatt

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Bacha Angutha Kyo Chusta Hai- छोटे बच्चे के बढ़ते विकास के साथ उनकी आदतों में भी नए-नए बदलाव देखने को मिलते हैं, बच्चों का नटखटपन, शरारतें और चेहरे की प्यारी सी मुस्कान पूरे दिन की थकान को दूर कर देती हैं। हालांकि इन्ही आदतों में कुछ आदतें काफी लम्बे समय तक नहीं छूटती जिनमे बच्चों का अंगूठा चूसना एक बेहद ही सामान्य आदत होती है, जिसे छुड़वा पाना इतना आसान नहीं होता। इस आदत से कई माता-पिता भी बच्चों पर नाराज होने लगते हैं और इससे छुटकारा दिलवाने के लिए वह कई बार बच्चों को डराते या डांटते भी है, लेकिन बच्चे को डांटना या उनपर गुस्सा करना एक अच्छा विकल्प नही है, आप अन्य तरीकों से भी बच्चों का अंगूठा पीना छुड़वा सकते हैं।

बच्चों का अंगूठा चूसना एक आम समस्या है, जो कई माता-पिता को परेशान करती है। यह आदत अक्सर बच्चों को ध्यान भटकाने के लिए उनका सुरक्षित मार्ग बन जाती है, लेकिन बच्चे का बार-बार अंगूठा पीने की आदत बाद में उनके लिए कई समस्याओं का कारण बन सकती है। ऐसे में बच्चों के अंगूठा पीने की आदत को छुड़वाने के लिए हम आपको यहां कुछ आसान तरीके बताएंगे, जिन्हे आजमाकर आप बच्चे की इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं।

बच्चा अंगूठा क्यों चूसता है?

अंगूठा चूसना आमतौर पर बच्चों की आवाजाही और सुकून की खोज होती है, जिससे यह धीरे-धीरे बच्चे का निरंतर साथी बन जाता है। छोटे बच्चों के अंगूठा चूसने की आदत को लेकर एक रिसर्च की गयी है जिसमे यह पता लगा है कि बच्चा मां के गर्भाशय में ही अंगूठा चूसना शुरू कर देता है और जन्म के बाद 6 से 7 महीने के बच्चे में यह आदत बच्चे में दिखाई देने लगती है। जब कभी बच्चा थक जाता है या उसे नींद आती है या भूख लगती है तो वह खुद को शांत करने या सुलाने के लिए अंगूठा चूसने लगता है। लेकिन, यह आदत उनके दाँतों के विकास को प्रभावित कर सकती है, जिससे दाँतों में समस्याएँ हो सकती हैं।

bacho ka angutha chusna kese chudaye
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अंगूठा चूसने के नुकसान

छोटे बच्चों के अंगूठा चूसने की आदत भले ही सामान्य हो लेकिन लंबे समय तक यह आदत नही छूटने के कई दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते है। चलिए जानते है अंगूठा चूसने के दुष्परिणाम:

  • हाथ की हड्डियों को नुकसान: अंगूठा चूसने के कारण शिशु के अंगूठे की त्वचा और नसों में नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इस आदत से बच्चे के अंगूठे की हड्डी के बढ़ने या जगह से खिसकने का भी खतरा बना रहता है।
  • बैक्टेरिया का संक्रमण: बच्चे का अंगूठा चूसना उनके मुंह में हानिकारक बैक्टीरिया का संचार कर सकता है। इस स्थिति को पैरोनीचिया कहते हैं जिसमे अंगूठा चूसने से मुंह और दांतों की वजह से पड़ने वाले दबाव के कारण बच्चे के अंगूठे में नाखून और तव्चा में अंतर आ जाता है, जिससे यहां बैक्टीरिया नाखूनों के बीच जमा होकर हाथों में संक्रमण पैदा करते हैं और बच्चे के मुंह से पर में जाकर बीमारी या पेट दर्द की समस्या उत्पन्न करते हैं।
  • दांतों की समस्या: मुंह में अंगूठा चूसने से शिशु के दाँतों का उच्चारण और दाँतों की विकास अधूरा रहता है, इसके साथ ही बच्चे के दांत अंदर को धसने के साथ-साथ अपने स्थान से खिसकने लगते हैं। अंगूठा चूसने की आदत लंबे समय तक रहने से बच्चे के दांत टेडे -मेडे भी हो सकते हैं और उनके दाँतों में अनेक समस्याएं हो सकती हैं।
  • बोलते हुए तोतलाना: अगर बच्चा 4 साल का होने के बाद भी अंगूठा चूसना नही छोड़ता तो उसे आगे चलकर बोलने में कठिनाई हो सकती है या उसके मुंह से शब्द साफ नहीं निकलते हैं, जिससे कई बार वह तोतलाना शुर कर देते हैं।
  • मानसिक कमजोरी: छोटे बच्चों का अंगूठा चूसना भले ही उन्हे खुशी और सुरक्षित महसूस करवाती है, लेकिन यदि बच्चा लंबे समय या 4 साल पूरा होने के बाद भी अपनी इस आदत को नही छोड़ता है तो यह आदत बच्चे के मानसिक विकार (डिसॉर्डर) का कारण भी हो सकती है। ऐसे में बच्चे को डॉक्टर को दिखाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
  • स्वास्थ्य को नुकसान: शिशु के मुंह के अंदर किसी भी खतरनाक वस्त्रों, खिलौनों, या अन्य वस्तुओं का संचार हो सकता है, जो खासकर सुरक्षा या स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

बच्चे का अंगूठा चूसना कैसे छुड़वाएं

अंगूठा चूसने के लिए कुछ उपाय हैं, जो माता-पिता अपना सकते हैं। बच्चे को अंगूठा चूसने की आदत जब बन जाती है, तो इसे छोड़ना काफी मुश्किल हो सकता है। इस आदत को छोड़ने के लिए माता-पिता को धैर्य और सहानुभूति के साथ काम करना पड़ता है। बच्चों को अलग-अलग उम्र में इस आदत से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार है।

  • बच्चे का अंगूठा चूसना छुड़वाने के लिए उन्हे किसी खिलौने या हाथों में दस्ताने लगाने से उनका ध्यान भटकने में मदद मिलती हैं।
  • आप बच्चे को पेसिफायर दे सकते हैं, हालांकि बच्चों को इसकी आदत न डालें।
  • छोटे बच्चे के अंगूठे में कुछ चटपटा लगाना इस आदत को छोड़ने के लिए मददगार हो सकता है।

इसी तरह यदि बच्चा काफी लंबे समय तक अंगूठा चूसना नही छोड़ता है तो बड़े बच्चे के साथ धैर्य और समझदारी के साथ बातचीत करें। उन्हें समझाएं कि अंगूठा चूसने से उनके दाँतों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा बच्चे का ध्यान आकर्षित करने के लिए उसके साथ समय बिताए और खेल खेलें और उसकी आदत पर नजर बनाए रखे, जिससे वह किसी भी परिस्थिति में अपना अंगूठा मुंह में न डालें।

अंगूठा चूसने की आदत कब बंद होती है?

बच्चों का अंगूठा चूसना एक सामान्य आदत है जो कुछ समय बाद खुद ही खत्म हो जाती है। यह आदत करीब तीन से चार साल की आयु में आम होती है और जब बच्चा अपने बड़े होने का एहसास करता है, तो यह आदत अपने आप ही छूट जाती है। हालांकि यदि इस आदत को छोड़ने की प्रक्रिया में देरी होती है या बच्चा अंगूठा चूसने नही छोड़ता है, तो आप अपने बच्चे को समझाएं कि यह आदत नुकसानदायक हो सकती है और उन्हें अपने मूंह से किसी भी संक्रमण का खतरा हो सकता है।

इसके लिए आप उन्हें इस आदत को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जैसे कि उन्हें कोई नया खिलौना देना या उन्हें संतुलित और स्वस्थ खाना प्रदान करना। ध्यान दें कि आपका बच्चा अपनी यह आदत छोड़े बिना अपने आप को प्रताड़ित महसूस कर सकता है, इसलिए उन्हें प्यार और समर्थन प्रदान करें। अंत में, सबसे महत्वपूर्ण है कि माता-पिता स्थिर और संवेदनशील रहें। अंगूठा चूसने के लिए बच्चे को दंड न दें, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करें जिससे वह इस आदत से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

बढ़ती गर्मी में यदि आपका नवजात शिशु है तो आप यह जरूर सोचते होंगे कि कैसे आप अपने बच्चे का गर्मियों में ख्याल रख सकती है। गर्मियों में बच्चे का ध्यान कैसे रखे इसके लिए आप यह आर्टिकल पढ़ सकती है- गर्मियों में शिशु की देखभाल के लिए 5 जरूरी टिप्स

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Nutan Bhatt
मैं नूतन भट्ट हूँ, शिवांग की माँ और mumbabysparsh.com की संस्थापक। एक नई माँ के रूप में, मैंने अपनी मातृत्व यात्रा के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करने का फैसला किया। मेरा लक्ष्य है अन्य नई माओं को प्रेरित करना और उनकी मदद करना, ताकि वे इस चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरी यात्रा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें। मेरे लेख बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य, और मातृत्व के सुखद अनुभवों पर केंद्रित हैं, सभी को हिंदी में सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मैं आशा करती हूँ कि मेरे विचार और सुझाव आपकी मातृत्व यात्रा को और अधिक खुशहाल और सुगम बनाने में मदद करेंगे।

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