पहली बार माँ और पिता बनने का एहसास दुनिया में सबसे अलग होता है। आप अपने न्यू बोर्न का स्वागत बहुत ही जोरोशोरों से करते है। उनकी एक झलक आपके पूरे दिन की थकान को दूर कर देती है। जैसे जैसे न्यू बोर्न के साथ आपका वक़्त गुजरता है आप उनकी हर एक छोटी से छोटी चीजों को नोटिस करने लगते है जिसके बारे में आपको पहले पता नहीं होता ना ही किसी ने आपको उसकी जानकारी दी होती है।
लेकिन आप नवजात शिशु में किसी न किसी तरह की यह सभी चीजे जैसे: नवजात शिशु कांपते क्यों है, नवजात शिशु का सिर का शेप कोन जैसा क्यों दिखता है, शिशु की त्वचा कभी मुलायम तो कभी शुष्क (ड्राई) सी क्यों दिखती है या शिशु बार बार दूध पीने के बाद भी भूखा क्यों रह जाता है आदि। तो चलिए आज में आपको इन्हीं सब चीजों के बारे में अपने आर्टिकल में बताने जा रही हूँ। जानकारी जानने के लिए आप दिए गए लेख को पूरा अवश्य पढ़े।
नवजात शिशु से जुड़े10 आश्चर्यजनक तथ्य
जानकारी के लिए बता नवजात शिशु में ऐसी आदते होती है जिसके लिए आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं होती जानते है नवजात शिशु से जुडी 10 आश्चर्य करने वाली रोचक बातें।
नवजात शिशु का सिर कोन की शेप का होना
अक्सर आपने देखा होगा कि जब आपका न्यू बोर्न इस दुनिया में आता है तो उसका सिर थोड़ा अजीब होता है यानि कोन (शंकु) के आकर का दिखाई देता है। ऐसे में आप यही सोचते होंगे कि आखिर पैदा हुए बच्चे का सिर कोन शेप का क्यों होता है तो आपको बता दूँ इसका भी एक रीज़न है
नवजात शिशु का सिर उसके जन्म के पश्चात स्थिति के कारण कई अलग-अलग शेप्स में हो सकता है। यह निर्भर करता है कि शिशु किस पोजीशन में गर्भाशय में था, जन्म के दौरान कितना जोर से दबाव लगा था, डिलीवरी के दौरान लम्बे समय तक यूटरस में रहने के कारण शिशु का सिर कोन शेप हो जाता है।
आपको बता देते है कि बच्चे का सर शंकु यानि कोन शेप में होना सामान्य है जिसे कैपुट सक्सेडेनियम के नाम से जाना जाता है लेकिन डिलीवरी होने के पश्चात और कुछ समय के पश्चात नवजात शिशु का सिर वापस गोल आकर में आ जाता है।
जाने क्या कहते है एक्सपर्ट
बोस्टन चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में नियोनेटोलॉजिस्ट और चाइल्ड स्पेशलिस्ट असिस्टेंट प्रोफेसर ऐनी हैनसेन MD कहती है कि बच्चे का सिर कोन शेप में होने की वजह से डिलीवरी के समय बच्चे को सिर के फ्रैक्चर और सिर की चोट से बचाता है।
शिशु के पैर काँपना या उछल कूद करना
नवजात शिशु का पैर कापना या उछलना एक अजीब तरह का रिएक्शन है। जिसमे हमे समझ नहीं आता कि क्या ये सही है या गलत। बच्चे 9 महीनें तक आपके पेट में पानी की थैली में लिपटे और बंद रहते है लेकिन डिलीवरी होने के पश्चात इस दुनिया में आने के बाद वह खुद को बहुत ही खुला हुआ महसूस करते है। वह अपने शरीर के किसी भी अंग में प्रतिबंध नहीं लगाते है उन्हें यह समझ नहीं आता कि अपने शरीर को कैसे नियंत्रण में रखना होता जिसके कारण आप हमेसा यह जरूर आभास करती होंगी कि जब आपके बच्चे को कुछ चीज पसंद आती है और वह पूरी तरह देखना शुरू करता है तो वह उस चीज को देखकर उछलने लगता है।
साथ ही बच्चे में आप किसी भी चीज को देखकर चौकाने वाली स्थिति भी देख सकते है जैसे कभी आप का शिशु यह समझता है कि वह गिर रहा है तो वह अपनी दोनों बाहें फैला देता है या उसके हाथ पैर काँपने लगते है साथ ही वह अचानक रोने लगता है। यह सभी इसलिए हो रहा होता है क्यूंकि इस समय बच्चों का नर्वस सिस्टम व उनकी मांसपेशियों का विकास हो हे रहा होता है परन्तु अगर आपके बच्चे का पैर अधिक काँपता है तो आप डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
नवजात शिशु दूध पीने के बाद भी भूखे क्यों रहते है
न्यू मॉम्स को कई बार यह प्रॉब्लम फेज करनी पड़ती है उनको लगता है कि वह अपने बच्चे को अच्छे से ब्रेस्टमिल्क पिला रही है जिसके बाद भी उनका बच्चा भूखा है। बता दूँ, शिशु द्वारा बार बार दूध की मांग करना ब्रेस्टफीड करवाने वाली माँ के लिए दूध का प्रोडक्शन बढ़ाने का एक नेचुरल प्रोसेस है क्यूंकि जितनी बार आप अपने बच्चे को अपने स्तनपान करवाएंगी उतना ही आपके ब्रेन को सिग्नल पहुंचेगा और आपको जल्दी जल्दी दूध बनेगा।
इसी के साथ अगर आपका बच्चा ब्रेस्टमिल्क पीता है तो वे फार्मूला मिल्क पीने वाले बच्चों की तुलना में दूध को जल्दी पचा लेता है जिसके बाद उसे वापस भूख लग सकती है। आप यह जरूर नोटिस करेंगी कि आप का पैदा हुआ बच्चा शुरुवात के कुछ महीनो में दूध की मांग अधिक करता है लेकिन जैसे-जैसे आपका बड़ा होता है उसकी दूध पीने की डिमांड भी कम होती है
अगर आप भी एक न्यू मॉम है और आपको भी ब्रेस्टमिल्क कम बनता है तो आप हमारे द्वारा दिए गए घरेलु उपाय की मदद से ब्रेस्टमिल्क बड़ा सकती है। आपको बता दूँ, यह सभी उपाय मैंने खुद आजमाए है जिससे मुझे बहुत ही फायदा मिला है – Breast milk kaise badhaye.
नवजात शिशु के हाथ-पैर का ठंडा होना
नवजात शिशु के हाथ-पैर का ठंडा होना आमतौर पर उनके सर्कुलेशन सिस्टम के कारण होता है। जब शिशु पैदा होता है, तो उसके हाथ और पैर उसके शरीर के सबसे बाहरी अंग होते हैं।
बच्चों के शरीर के सबसे बाहरी अंग विशेष रूप से ठंडे होते हैं, क्योंकि उनमें उपयुक्त ब्लड सर्कुलेशन की कमी होती है, जो उन्हें ठंडा करती है। यह इसलिए होता है क्यूंकि उनका सर्कुलेशन सिस्टम अभी भी विकसित हो रहा होता है जिसके कारण ब्लड को उनके जरुरी और महत्वपूर्ण अंग व सिस्टम में पहले भेजा जाता है जहाँ ब्लड की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन शिशु के बढ़ते विकास के चलते धीरे धीरे उनका ब्लड सर्कुलेशन हाथो पैर तक भी अच्छे से पहुँचने लगता है जिसके बाद उनके हाथ पैर ठंडे महसूस नहीं होते।
नवजात शिशु के अंडकोश का बड़ा दिखना
नवजात शिशु के अंडकोश बड़े लगने के कई कारण हो सकते हैं। यह शिशु के विकास के प्राथमिक चरणों में से एक हो सकता है, जिसमें अंडकोश में रक्त प्रवाह बढ़ सकता है और इससे अंडकोश का आकार बड़ा लगता है।
अंडकोश का आकार बड़ा होना आमतौर पर कुछ हफ्तों तक या नवजात शिशु के पहले कुछ महीनों तक हो सकता है, जब शिशु के हार्मोनल प्रणाली अभी विकसित नहीं होती है और इसलिए अंडकोश में रक्त प्रवाह को सामान्य तरीके से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा, कुछ बार यह एक साधारण शारीरिक प्रक्रिया हो सकती है, जैसे कि अंडकोश में अधिक रक्त प्रवाह शिशु के रिप्रोडक्शन की प्रक्रिया के लिए सामान्य होता है।
इसके अलावा, सभी नवजात शिशुओं के शरीर में अभी भी उनके गर्भस्थ माता-पिता के हॉरमोन प्रवाहित होते रहते हैं। ये हॉरमोन अंडकोष को बड़ा करते हैं।
नवजात शिशु के होंठों पर छाला होना
कभी कभी आपने गौर किया होगा कि आपके नवजात शिशु के होंठ पर छाला होगया है लेकिन इसका कारण की आप जानते है। शिशु के मुँह में छाला बोतल से दूध पीने या ब्रेस्टमिल्क को जोर से सक (चूसने) की वजह से हो जाता है इसी के साथ जब बच्चे के दांत आने शुरू होते है तो वह अपने अंगूठे व उँगलियों को चूसने लगते है जिसके कारण भी उनके मुँह में छाले हो जाते है। लेकिन इसमें आपको घबराने की जरूरत नहीं है यह कुछ दिन में अपने आप ठीक हो जाते है।
नवजात शिशु की पॉटी (मल) दस्त की तरह लगना
आपने अगर नोटिस किया होगा तो जो शिशु अपनी माँ का दूध यानि ब्रेस्टमिल्क पीते है उन्हें थोड़ा दानेदार और सरसो जैसी पीले रंग की पॉटी होती है। साथ ही जो बच्चे फार्मूला मिल्क आदि पीते है उनके बच्चे थोड़ा ठोस पॉटी करते है जिनका रंग हल्का ब्राउन जैसा होता है। जब तक कोई भी शिशु ठोस आहार नहीं लेता और दूध पीता है तो वह गीली होती है।
साथ ही नवजात शिशु की पॉटी इसलिए भी दस्त जैसी लग सकती है क्योंकि उनके पास अपने डायजेस्टिव सिस्टम को एडजस्ट करने का पूरा अनुभव नहीं होता है। यदि आपके बच्चे को लगातार दस्त जैसी शिकायत है तो इसके लिए आप डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते है।
नवजात शिशु का बार बार छींकना
अगर आपके घर में छोटा नवजात शिशु है तो आप भी यह अनुभव जरूर करते होंगे कि आपका नवजात शिशु अक्सर छींकते रहते है। नवजात शिशु का बार बार छींकने से मतलब यह नहीं है कि उन्हें सर्दी या झुकाम है बल्कि वह अपनी नाक और श्वसन मार्ग को बंद और हवा में पाएं जाने वाले कणो को साफ करने के लिए छींकते है। जब भी नवजात शिशु छींकते है उनकी बंद नाक खुल जाती है
जानकारी के लिए बता दें, कभी-कभी, नवजात शिशु के छींकने के पीछे एलर्जी, नाक के रोग, या वायरल इन्फेक्शन जैसी मेडिकल समस्याएं हो सकती हैं। अगर छींकने के साथ-साथ शिशु के श्वसन में कोई समस्या, बुखार, या अन्य लक्षण भी हैं, तो बेहतर है कि आप उन्हें एक पेडियाट्रिशियन या बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाएं, ताकि सही निदान और उपचार किया जा सके।
नवजात शिशु की त्वचा कभी मुलायम तो कभी शुष्क दिखाई देना
नवजात शिशु की त्वचा कभी मुलायम तो कभी शुष्क (ड्राई) सी क्यों दिख सकती है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहले तो, यह उनके प्राकृतिक विकास के अंतर्गत आता है। कुछ शिशुओं की त्वचा प्राकृतिक रूप से मुलायम होती है, जबकि अन्यों की त्वचा शुष्क होती है। इसमें भोजन और पेय का विधान, मौसम की बदलाव, तथा हर्मोनल परिवर्तन भी शामिल हो सकते हैं। समय-समय पर, त्वचा की देखभाल में भी कोई बदलाव हो सकता है, जो उसकी त्वचा को अस्थिर बना सकता है। अगर आपका शिशु शुष्कता का सामान्य स्तर से अधिक समस्यात्मक है, तो एक पेडियाट्रिशियन से परामर्श लेना उचित होगा।
शिशु का हर चीज के लिए एक जैसी रोने की आवाज
अक्सर यह जानना मुश्किल हो जाता है कि आपका नवजात शिशु किस लिए रो रहा है जैसे: अगर वह भूख के लिए रो रहा है या डायपर फुल होने की वजह से या पेट दर्द की वजह यह समझ पाना माता पिता के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है। लेकिन जैसे जैसे आपका अपने शिशु के साथ समय बीतता जायेगा आप खुद बा खुद समझने लगेंगे कि आपका बच्चा भूख के लिए रो रहा या डायपर बदलने के लिए आदि।
Mam mere bache ki legs angdai lete waqt 2 and 3 second k liye kampti h aur fir thik ho jaati h din main teen char bar esa hota h kya krain much worried about this
sir/mam, mere bete ke bhi legs 2,3 bar kaanpte the iske liye ap baby ki ache se paer ki malis kejiye .malis se bacho ki muscles strong hote hai. ab mere bache ke legs nahi kaanpte hai or agr malis se bhi fark nahi pdta to ap doctor se consult jarur kejiye .