नमस्ते दोस्तों! मैं नूतन भट्ट हूँ, और मैं खूबसूरत शहर देहरादून, उत्तराखंड की वासी हूँ। मैंने वाणिज्य में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। आज मैं आपके साथ अपने ब्लॉग ‘MumbabySparsh’ की कहानी साझा करने जा रही हूँ। मेरे इस ब्लॉग को बनाने का उद्देश्य है नई मम्मियों को प्रेगनेंसी और बेबी केयर के बारे में व्यावहारिक और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना।
मैं अपने अनुभवों को आपके साथ बाँटूंगी, जो मेरे प्रेगनेंसी और बच्चे की देखभाल के सफर पर आधारित होंगे।
इस ब्लॉग में, मैं अपनी प्रेगनेंसी के नौ महीने से लेकर डिलीवरी तक के सफर, और उसके बाद बच्चे की देखभाल, स्वास्थ्य, प्रेगनेंसी, और ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाऊँगी।
मेरी योजना थी कि मैं अपनी प्रेगनेंसी के दौरान ही ब्लॉग लिखना शुरू कर दूँ, लेकिन कुछ स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण, डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी। इसलिए, मैंने अपनी डिलीवरी के बाद ब्लॉगिंग शुरू की।
मैं सभी नई माँओं से कहना चाहती हूँ, अगर आपको बच्चे की सेहत, प्रेगनेंसी, और ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए या किसी प्रश्न का उत्तर ढूँढ रहे हों, तो बेझिझक मुझसे संपर्क करें। आइए मिलकर इस खूबसूरत सफर को और भी खास बनाएँ।
माय प्रेगनेंसी जर्नी? आखिर क्या हुआ था मेरे साथ, सबक्रोनिक ब्लीडिंग की वजह से सहा बहुत कुछ
में आप सभी के सामने अपनी प्रेगनेंसी की जर्नी के बारे में बहुत सी बातें शेयर करना चाहती हूँ कि आखिर मेरे साथ क्या-क्या कम्प्लीकेशन (जटिलताएं) आई, कैसे मुझे इंटरनल ब्लीडिंग (सबक्रोनिक ब्लीडिंग) हुई, कैसे मैंने अपने 9 महीने में खुद को बदलता हुआ देखा। तो चलिए शुरू करते है।
जब मुझे पता चला कि में प्रेग्नेंट हूँ
बात करें तो 28 फरवरी 2023 कि जिस दिन मुझे लास्ट पीरियड्स आये थे। मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि मैंने पीरियड्स होने के कुछ दिन बाद कंसीव कर लिया था। में अपनी ही मस्ती में यहाँ वह घूमती रहती थी। किसी पर्सनल रीज़न की वजह से मुझे दूसरी सिटी जाना पड़ा था। वहां मेरे इनलॉस भी थे। उनके साथ में वह पूरा दिन घूमती रहती है। लगभग 20 दिन होने के बाद में वापस अपने घर आयी तो मेरे पेट में दर्द सा होने लगा। मुझे लगा ये दर्द मेरे पीरियड्स का होगा।
कुछ दिन पीरियड्स का वेट करने के बाद मुझे पीरियड्स नहीं आये तो मुझे ये एहसास हुआ कि कही में प्रेग्नेंट तो नहीं। इसके बाद मैंने प्रेगनेंसी किट खरीदी और खुद से चेक किया। अब हुआ यूँ कि चेक करने के बाद मुझे कुछ सेकण्ड्स में 1 लाइन दिखी (जिसका मतलब यह है कि आप प्रेग्नेंट नहीं है) तो में जल्दी जल्दी किट उठा के डस्टबिन में फेंक दी। जबकि मेरी कुछ देर बाद हलकी पिंक लाइन दिखाई देने लगी थी जो मैंने बाद में देखी।
किट डस्टबिन में फेंकने के बाद मुझे लगा मुझे पीरियड्स का ही दर्द है तो एक दो दिन में आजायेंगे पीरियड्स। लेकिन फिर ऐसा नहीं हुआ 10 दिन बीत गए। में फिर सोच में पढ़ गयी कि मुझे दर्द हो रहा है तो मुझे पीरियड्स क्यों नहीं आ रहे है। कुछ दिन बाद दोबारा मैंने प्रेगनेंसी किट खरीदी और चेक किया तो उसमे पहले 1 लाइन आयी फिर कुछ सेकण्ड्स का इंतजार करते करते दूसरी पिंक लाइन आ गयी। में उस टाइम बहुत शॉक हुई। मैंने जल्दी जाकर डस्टबिन से पुरानी किट उठायी तो देखा उसमे हल्की पिंक लाइन भी है। तब में समज गयी कि “I Am Pregnant”
पहली अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से पता चला सबक्रोनिक ब्लीड के बारे में
प्रेगनेंसी कन्फर्म करने के लिए मुझे डॉक्टर ने एक अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहा जिसके बाद में मैंने बेस्ट गयनोकोलॉजिस्ट सर्च किया जिसमे से एक नाम था भावना गुलाटी मैडम का। उन्होंने मुझे अल्ट्रासाउंड करवाने की परमिशन दी जिसके बाद में मेरा अल्ट्रासाउंड हुआ। मन में ख़ुशी भी थी पर कुछ समज भी नहीं आ रहा था। कुछ देर रिपोर्ट का वेट करने के बाद रिपोर्ट देखी तो एक पल के लिए मेरे पैरो से जमीन खिसक गयी और मैं रोने लगी।
मेरी प्रेगनेंसी रिपोर्ट देखने के बाद मेरी गयनोकोलॉजिस्ट मैंम ने कहा कि मुझे इंटरनल ब्लीडिंग है और मैं प्रेग्नेंट भी हूँ। मुझे उस समय कुछ समज नई आया कि सबक्रोनिक ब्लीडिंग आखिर होती क्या है ये मैं आपको बाद में बताउंगी। मुझे डॉक्टर ने कम्पलीट 3 महीने का बेड रेस्ट बोल दिया था। उन्होंने कहा अगर रेस्ट नहीं लिया तो शायद बेबी को अबो्र्ट भी करना पड़ सकता है। मैं उस इतना रोने लगी कि ऐसा लगा ख़ुशी आयी और चली गयी। लेकिन कहते है न “जाके राखो साईयाँ मार सके ना कोई”
जब मुझे करना पड़ा 3 महीने का बेड रेस्ट
मेरे हस्बैंड ने मेरा बहुत साथ दिया और मुझे कहा अब आप कुछ काम नहीं करोगे और बस आराम करोगे सब ठीक हो जायेगा। दोस्तों मन में हमेसा पॉजिटिव भाव रखे और अपने मन में कहे कि कोई भी चुनौती आये आप उसे हरा देंगे। मुझे कम्पलीट बेड रेस्ट बोलने के बाद मेरे पति ने मुझे मायके भेज दिया। वह मेरी माँ ने मेरा हर वक़्त ख्याल रखा। कहते है न माँ जैसा कोई नहीं हो सकता और ये एक परफेक्ट एक्साम्प्ल भी है कि माँ आपको समझ सकती है।
1 महीने से 3 महीने का सफर
कुछ दिन आराम करने के बाद डॉक्टर ने मुझे 6वे हफ्ते में दोबारा से अल्ट्रासाउंड करने को कहा। अल्ट्रासाउंड करने के बाद फिर मेरे आँखों से आंसू निकलने शुरू होगये थे डॉक्टर ने कहा आपकी इंटेरनल बब्लीडिंग बहुत बढ़ चुकी है। जिसके बाद मुझे उन्होंने कुछ खाने की टेबलेट दी कुछ इंजेक्शन दिए। मैं बहुत घबरा गयी थी जिसके बाद मेरे पति ने मेरी रिपोर्ट्स दूसरी जगह यानि अरिहंत हॉस्पिटल में विदूषी जयाला जैन मैंम को दिखाई।
मैडम द्वारा रिपोर्ट्स देखने के बाद उन्होंने मुझे दवाई और डेली इंजेक्शन लगवाने के लिए कहा। आप लोग यकीन नहीं मानोगे वो इंजक्शन बहुत ही पेनफुल थे और थाइस में उसका दर्द मुझे 2 दिन तक रहता है। मैंने पूरे 10 दिन इंजेक्शन लगवाएं और उसके कुछ दिन आराम किया।
आराम करने के बाद नयी विदूषी जयला मैंम ने मेरा अल्ट्रासाउंड किया जिसमे मुझे पता चला कि मेरी इंटरनल ब्लीडिंग काफी हद तक खत्म हो गयी। मै सच में बहुत खुश हुई कि अब मेरा बच्चा पेट में ठीक है। मुझे डॉक्टर ने एन्ड तक भरी काम व योग आदि ना करने की सलाह दी। मैंने यह सभी बात मम्मी को बता दी जिसके बाद मम्मी भी सुनके खुश हो गयी।
4 महीने से 5 महीने में हुई गैस की दिक्कत
9 महीने की गर्भावस्था के बीच में मुझे कई तरह तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा जैसे: गैस की दिक्कत, उल्टी वगेरा। जिसके कारण मेरा वजन भी नहीं बड़ा था। गैस की दिक्कत मुझे इतनी हुई कि मुझे रोजाना डॉक्टर द्वारा दी गयी गैस की दवाई खानी पड़ती थी। लेकिन जैसा जैसा समय बीतता गया मेरी ये सभी दिक्कते भी कम होती गयी। 4वें व 5वें महीने की प्रेगनेंसी के समय डॉक्टर ने मेरी आयरन और कैल्सियम की गोली भी शुरू कर दी थी।
6 महीने से 9 महीने तक की प्रेगनेंसी का सफर
6 महीने में आते आते मुझे गैस की दिक्कत भी खत्म हुई और उल्टी की दिक्कत भी। मैं बस हर समय यही कहती थी जब भी मेरा अल्ट्रासाउंड हो मेरा बच्चा एक दम स्वस्थ हो। जब मेरा 7वें महीने का अल्ट्रासाउंड हुआ था तब डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरा सबक्रोनिक ब्लीड यानि इंटरनल ब्लीडिंग बंद हो गयी है। मेरे लिए ये सुनना किसी ख़ुशी से कम नहीं था। इसके बाद मेरी मम्मी और मेरे हस्बैंड ने मेरी और भी ज्यादा केयर करनी शुरू कर दी थी। मैं रोजाना चकुंदर, गाजर, फ्रूट्स जूस, ड्राई फ्रूट जो भी चीजे प्रेगनेंसी में आप खा सकते है। उन सब को खाई जिसके बाद मेरा वजन भी बढ़ता गया और मेरा बच्चे का भी वजन पेट में बहुत ही अच्छा हो गया था।
जब मुझे पता चला कि मुझे प्रेगनेंसी जॉन्डिस है
डॉक्टर द्वारा मुझे कुछ टेस्ट लिखे गए जिन्हे मैंने करवाया और मैं फिर से एक बार और शॉकड हो गयी क्यूंकि मेरे रिपोर्ट्स में मेरा प्रेगनेंसी जॉन्डिस आया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है। डॉक्टर विदूषी मैंम जो कि अरिहंत हॉस्पिटल में गायनो है उन्होंने मुझे जल्दी से जल्दी डिलीवरी करवाने को बोला। जिसके बाद 22 नवंबर को मुझे डेट दी गयी जिस दिन मेरी डिलीवरी होनी थी।
लेकिन उस टाइम मुझे कोई लेबर पैन नहीं था जिसकी वजह से मुझे आर्टिफीसियल पैन इंडयूस किया गया। 22 नवंबर सुबह 6 बजे मुझे एडमिट कर दिया गया जिसके बाद मुझे लेबर पैन के लिए पहला इंजेक्शन लगा। फिर भी मुझे दर्द महसूस नहीं हुआ इसके बाद 11 बजे मुझे दूसरा इंजेक्शन लगा। दूसरे इंजेक्शन लगने के लगभग 1 घंटे के अंदर मुझे धीरे-धीरे लेबर पैन बढ़ना शुरू होगया था जिसके बाद 4 बजे मुझे लेबर रूम में ले जाया गया। मुझे इतना दर्द होने लगा था जो मुझसे सहा नहीं जा रहा था। तभी तो कहते है “माँ बनना आसान नहीं होता” लेकिन एक औरत ही होती है जो एक बच्चे को जन्म देती है। लम्बे समय तक खतरनाक दर्द सहने के बाद 6.36 में मेरा प्यारा सा बेटा हुआ जिसका नाम हमने रखा शिवांग यानी “शिव का अंग”
दोस्तों तो ये थी मेरी 9 महीने की प्रेगनेंसी जर्नी जो मैंने आप सभी के साथ शेयर करी। में आप सभी प्रेग्नेंट लेडी को यही कहूँगी कि आप लोग अपना और अपने होने वाले बच्चे का बहुत अच्छे से ध्यान रखे।