ज्यादा शुगर और प्रोसेस्ड फूड वजन बढ़ने और गर्भकालीन मधुमेह का कारण बन सकते हैं।
इनमें साल्मोनेला और लिस्टीरिया बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
200 मिलीग्राम से ज्यादा कैफीन (कॉफी, चाय, चॉकलेट) गर्भ में शिशु के विकास को प्रभावित कर सकता है।
कच्चे अंकुरित अनाज में बैक्टीरिया हो सकते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा रहता है।
गर्भावस्था के दौरान शराब और धूम्रपान से बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है।
शार्क, स्वोर्डफिश और किंग मैकेरल जैसी मछलियों में पारा की मात्रा अधिक होती है, जो शिशु के मस्तिष्क विकास पर प्रभाव डाल सकता है।